लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव जारी है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि चीनी सेना सीमा पर विवादित इलाके में 60 वर्ग किलोमीटर अंदर तक घुस आयी है। वहीं सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया जा रहा है। इस सभी के बीच देश में चीन विरोधी भाव पनप रहा है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चीनी सामान के बहिष्कार की मांग उठ रही है। हालांकि पूर्व एनएसए शिवशंकर मेनन इससे सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि इससे चीन की सैन्य महत्वकांक्षा कमजोर नहीं हो सकती और हमें चीन से धीरे धीरे फेज वाइज निपटना होगा।
एक टीवी चैनल पर बातचीत के दौरान पूर्व एनएसए ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि चीन को हिंद महासागर में जवाब देने की बात कह रहे हैं। लेकिन हमें चीन से चरणबद्ध तरीके से निपटना होगा और अपने आप को मजबूत बनाना होगा। चीन के आर्थिक बहिष्कार पर उन्होंने कहा कि जब लॉकडाउन के चलते देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, ऐसे में चीन के आर्थिक बहिष्कार का असर भारतीय उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा।
शिवशंकर मेनन ने कहा कि जब 3-5 करोड़ लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। जब आपकी अर्थव्यवस्था को ग्रोथ करने की जरुरत है, ऐसे वक्त में सस्ता और अच्छा माल प्रोड्यूस करने वाले देश से मुंह मोड़ लेना सही कदम नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच सालाना 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा का व्यापार होता है। हालांकि सीमा पर तनाव के चलते हाल के दिनों में इसमें करीब 7 फीसदी की गिरावट आयी है। भारत के इलेक्ट्रॉनिक बाजार में चीनी प्रोडक्ट्स का दबदबा है। इसके अलावा ईंधन, मिनरल ऑयल, फार्मा और केमिकल्स का भी बड़ी संख्या में चीन से आयात होता है।
बता दें कि भारत की तरफ से चीन सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सड़क, ब्रिज आदि का निर्माण किया जा रहा है। लद्दाख की गलवान घाटी में बनाए जा रहे एक ब्रिज पर चीन ने आपत्ति जाहिर की, जिसके चलते मई में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। चीन की मांग है कि भारत ब्रिज का काम रोके, जबकि भारत का कहना है कि इस ब्रिज का निर्माण उसकी सीमा में हो रहा है, इसलिए वह ब्रिज का निर्माण नहीं रोकेगा। यही वजह है कि दोनों तरफ की सेनाएं सीमा पर एक-दूसरे के सामने डटी हुई हैं।