India-China Trade: अप्रैल में अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ सरकार के बाद चीनी सरकार ने दुर्लभ मिनरल्स और प्राकृतिक उपकरणों के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा कहा गया कि वह दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक की आपूर्ति के मुद्दे पर चीन के साथ संपर्क में है। भारत सरकार ने पहली बार आधिकारिक तौर पर इस बातचीत को स्वीकार किया है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भारत और चीन लंबे टकराव के बाद रिश्तों को फिर से सामान्य बनाने को लेकर काम कर रहे हैं।

दरअसल, वीकली प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि दुर्लभ पृथ्वी चुंबक और उपकरणों को लेकर दिल्ली और बीजिंग दोनों जगहों पर बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम उनसे बात कर रहे हैं कि हम दुर्लभ पृथ्वी पर आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दे को कैसे सुव्यवस्थित कर सकते हैं।

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भारत सरकार की जारी है बातचीत

रणधीर जयसवाल ने कहा जब भी कुछ करने की आवश्यकता होगी तो भी हम कई आर्थिक मुद्दों और व्यापार मुद्दों पर चीनी पक्ष के साथ बातचीत करेंगे, क्योंकि भारत चीन के साथ संपर्क में हैं। चीन ऑटोमोबाइल, स्वच्छ ऊर्जा और घरेलू उपकरणों के लिए उपयोग किए जाने वाले चुम्बकों की 90% से अधिक वैश्विक जरुरत का केंद्र है। उसने ने अप्रैल में प्रतिबंध लागू किए थे, जिसके तहत कंपनियों के लिए बीजिंग से आयात परमिट प्राप्त करना जरूरी हो गया था।

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चीन द्वारा निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों से दुनियाभर में कार निर्माताओं पर असर पड़ने की संभावना है। उद्योग समूह सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (SIAM) ने भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक इलेक्ट्रिक वाहन मोटरों में एक महत्वपूर्ण घटक हैं, वे पेट्रोल या डीजल से चलने वाली कारों में पावर विंडो और ऑडियो स्पीकर के लिए जरूरी होते हैं।

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30 मिलियन डॉलर के मैग्नेट ट्रेड की उम्मीद

उद्योग के अनुमान के अनुसार भारत के ऑटो क्षेत्र ने 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 460 टन दुर्लभ मृदा चुम्बकों का आयात किया, जिनमें से अधिकांश चीन से थे। इस वर्ष 30 मिलियन डॉलर मूल्य के 700 टन चुम्बकों का आयात होने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि उद्योग निकायों और कंपनियों ने वाणिज्य मंत्रालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया था और यह मुद्दा चीन के समक्ष भी उठाया गया था।

दुर्लभ उपकरणों के एक्सपोर्ट क्यों हैं महत्वपूर्ण

अप्रैल में प्रतिबंधों के बाद मई में चीन के दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों के निर्यात में भारी गिरावट आई। अमेरिका और चीन द्वारा जिस रूपरेखा पर सहमति बनी है, उसमें दुर्लभ पृथ्वी की आपूर्ति को आसान बनाना भी शामिल है। बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोबाइल और रक्षा तक कई प्रमुख क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण खनिज और दुर्लभ पृथ्वी तत्व अर्थव्यवस्था में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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