बीते दिनों पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर भारत ने अपने स्थिति मजबूत की है। इसे लेकर चीन की ओर से बौखलाहट साफ़ देखने को मिल रही है। चीन ने उस इलाके में भारी संख्या में सेना और टैंकों की तैनाती कर दी है।  चीन के ये सैन्य साजो-सामान वास्तविक नियंत्रण रेखा से महज 20 किलोमीटर की ही दूरी पर हैं।

सूत्रों के मुताबिक दक्षिण पैंगोंग के मोल्दो में चीन की ये तैयारियां एलएसी से बहुत दूर नहीं हैं।  इन्हें भारतीय सेना के द्वारा आसानी से देखा जा रहा है। इसी के साथ ही चीन ने तिब्बत में स्थित 2 हवाई अड्डों पर अपने लड़ाकू विमानों की संख्या भी बढ़ानी शुरू कर दी है।  ये लड़ाकू विमान सुखोई-30 बताये जा रहे हैं।

इसके जवाब में भारत ने भी क्षेत्र में टैंकों और पैदल सैन्य बलों की  तैनाती बढ़ाई है।  भारत की फौजें महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले क्षेत्र में तैनात हैं।  सेना के पास वहां एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, राकेट तथा अन्य महत्वपूर्ण युद्धक उपकरण हैं।  इसके अलावा भारत के पास पूर्वी लद्दाख में उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उन्नत टी -72 एम 1 टैंक के अलावा मिसाइल सशस्त्र टी -90 भारी मुख्य युद्धक टैंक भी है।

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सेना प्रमुख बाल मुकुंद नरवने ने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास हालत तनावपूर्ण हैं। हमने एलएसी पर अपनी सुरक्षा के लिए सैन्य बलों की तैनाती की है। सेना प्रमुख ने कहा, “हमें यकीन है कि बातचीत के जरिए समस्या का पूरी तरह से समाधान किया जा सकता है।” सेना प्रमुख कल गुरूवार को एलएसी से सटे चुसूल सेक्टर का दौरा करने आये थे।

भारत और चीन की वायु सेनाओं ने अपने अपने क्षेत्रों में लड़ाकू विमान भी तैनात किये हैं।  हालांकि अभी यह साफ़ नहीं है की इनसे हर समय पेट्रोलिंग या प्रदर्शन किया जा रहा है या नहीं।  वहीं एलएसी के अलावा उत्तर भारत के कई एयरबेसों पर तैनात भारत के कई लड़ाकू विमान भी चीन को करारा जवाब देने में सक्षम हैं।