भारत और चीन के राजदूतों के बीच हुई बातचीत से भी एलएसी पर जारी स्टैंड ऑफ का मामला नहीं सुलझ सका। भारत ने कहा है कि ‘दोनों पक्ष आगे भी पूरी तरह से सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गंभीरता से काम करते रहेंगे।’ बता दें कि मई में स्टैंड ऑफ शुरू होने के बाद से वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स (WMCC) की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चौथी बैठक थी।
चीन द्वारा लद्दाख के पैंगोंग त्सो इलाके से पीछे हटने में आनाकानी की जा रही है, जहां उसके सैनिक फिंगर 4 इलाके में तैनात हैं। इसके अलावा गोगरा हॉट स्प्रिंग के इलाके को लेकर भी दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। बीती तीन बैठकों की तरह इस बार भारत की तरफ से आए बयान में ‘प्रोग्रेस’ और ‘पीछे हटने की प्रक्रिया’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके साथ ही ‘जल्दी और पूरी तरह से सेनाओं के पीछे हटने’ की भी कोई बात बयान में शामिल नहीं थी, जबकि इससे पहले के बयानों में ये बात शामिल थी।
वहीं चीन की तरफ से बयान में कहा गया है कि वह दोनों देशों के फ्रंट लाइन फोर्सेस के पीछे हटने की प्रक्रिया की सकारात्मक रूप से समीक्षा कर रहा है और विवाद को सुलझाने के लिए आपसी रजामंदी तक पहुंचने पर सहमत है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि ‘दोनों पक्षों में सीमा पर मौजूदा स्थिति को लेकर स्पष्ट और विस्तार से बातचीत हुई।’
उन्होंने कहा कि ‘दोनों पक्ष इस बात की फिर से पुष्टि की है कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते के तहत पश्चिमी सेक्टर की एलएसी से पीछे हटने पर गंभीरता से काम किया जाएगा।’
श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों देश यह समझते हैं कि कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर करीबी बातचीत से ही सीमा पर सेनाएं पूरी तरह से पीछे हट सकेंगी। यह भी कहा गया है कि द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए सीमा पर शांति जरुरी है।
WMCC की बैठक में पूर्वी एशिया के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव ने भारतीय पक्ष का नेतृत्व किया। वहीं चीन की तरफ से चीनी विदेश मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ बाउंड्री एंड ओसीनिक अफेयर्स के डीजी होंग लियांग ने नेतृत्व किया। बीते हफ्ते चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने भी चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन और सेंट्रल कमेटी ऑफ कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ भी सीमा पर शांति के लिए बातचीत की थी।