चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव को देखते हुए भारत कोई ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। भारतीय सेना की तरफ से एलएसी के पास पूर्वी लद्दाख में चुमार-डेमचोक क्षेत्र में BMP-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ T-90 & T-72 टैंकों की तैनाती की गई है। ये युद्धक साजो सामान माइनस 40 डिग्री सेल्सियस में भी दुश्मन को जवाब दे सकते हैं।
एलएसी के पास के क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 50,000 सैनिक तैनात हैं। इसके अतिरिक्त टैंक, तोपखाने और हवाई हमले के लिए फाइटर प्लेन और जरूरी साजो सामान उपलब्ध है। मौजूदा विवाद के तुरंत हल नहीं होने को देखते हुए भारतीय सेना की तरफ से सर्दियों में तैनाती को लेकर सभी तैयारियां की जा रही हैं। 14 कॉर्प्स के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल अरविंद कपूर ने एलएसी पर भारतीय सेना की तरफ से तैयारियों की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स भारतीय सेना का और दुनिया में भी एकमात्र ऐसा फॉर्मेशन है जिसने ऐसे कठिन इलाकों में मेकेनाइज्ड फोर्स को तैनात किया है। इस इलाके में मौजूदा परिस्थितियों में टैंकों की मेंटनेंस, पैदल सेना के युद्धक वाहनों और भारी बंदूकों की तैनाती बनाए एक चुनौती है। मेजर जनरल कपूर ने कहा कि क्रू और उपकरण की तत्परता सुनिश्चित करने, आदमी और मशीन दोनों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं।
#WATCH Tanks and infantry combat vehicles of Indian Army deployed near the Line of Actual Control (LAC) in Chumar-Demchok area in eastern Ladakh.
Note: All visuals cleared by competent authority on ground. pic.twitter.com/2RubzNnlCK
— ANI (@ANI) September 27, 2020
हालिया सैन्य वार्ता में चीनी सेना ने पैंगोग झील के दक्षिणी किनारे से सैनिकों को पीछे हटाने से शुरुआत करने पर जोर दिया लेकिन भारतीय सेना ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी बिंदुओं पर गतिरोध दूर करने के लिए एक साथ कदम उठाए जाने चाहिए। दोनों पक्षों ने इस पर सहमति जतायी कि पूर्वी लद्दाख में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि तनाव नहीं भड़के।
चीनी सैनिकों के आक्रामक रवैये के कारण मई की शुरुआत में गतिरोध आरंभ हुआ, इसलिए टकराव वाले स्थानों से उन्हें हटने की शुरुआत करनी चाहिए। भारतीय पक्ष ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से साफ तौर पर कहा कि किसी भी दुस्साहस या आक्रामक रवैये से कड़ाई से निपटा जाएगा क्योंकि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
मालूम हो कि पूर्वी लद्दाख में 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेना के बीच गतिरोध चल रहा है। मध्य जून में गलवान घाटी में झड़प के बाद सरकार ने सेना को चीन की किसी भी हिमाकत का कड़ाई से जवाब देने की आजादी दे दी। चुशूल सेक्टर में खराब होती स्थिति के मद्देनजर पिछले सप्ताह कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई।
इससे पहले 29 और 30 अगस्त की रात से चीनी सैनिकों ने हवा में गोलियां चलायी थी। घटना के बाद भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी किनारे पर महत्वपूर्ण 20 चोटियों पर अपना दबदबा कायम कर लिया।