भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले पांच महीने से तनाव जारी है। दोनों देशों के बीच रूस के मॉस्को में हुई रक्षा और विदेश मंत्री स्तर की वार्ता के बावजूद चीन ने अभी तक एलएसी से अपने कदम पीछे नहीं खींचे हैं। हालांकि, इस बीच भारत ने भी उसे टक्कर देने के लिए बराबर संख्या में जवानों और जरूरी सैन्य साजो-सामान पहुंचा दिया है। भारतीय सेना ने लद्दाख में पड़ने वाली भीषण सर्दी से निपटने के लिए सामान पहुंचाने के साथ, सड़कों और पुलों की कनेक्टिविटी भी मजबूत करने पर ध्यान दिया है। पिछले कुछ महीनों में ही भारत के बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने एलएसी के नजदीक सड़क निर्माण कार्य तेजी से पूरे किए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने हाल ही में लद्दाख के चिलिंग में सड़कों का निर्माण तेज कर दिया है, यह जगह एलएसी पर भारत-चीन के बीच टकराव वाली जगह से महज 250 किलोमीटर दूर है। यह सड़क अभी निर्माणाधीन है, लेकिन जल्द ही इसका काम पूरा होने के बाद लद्दाख का सीमावर्ती इलाकों से संपर्क बेहतर हो जाएगा। सर्दी में बर्फ गिरने के बाद भी सड़क को इस ऊंचाई पर बनाया जा रहा है, जिससे यह साल भर ऑपरेशनल रहे। बता दें कि चीन पहले ही अपनी तरफ एलएसी पर सड़कों के साथ-साथ हेलिपैड जैसे स्थायी निर्माण भी कर चुका है।
दिन-रात काम में जुटी है मजदूर-इंजीनियरों की टीम: सीमा के करीब निम्मू-पदम-दारचा राजमार्ग बनाने के काम में लगे मजदूर और इंजीनिर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। केरल से आए एक मजदूर इलियास के मुताबिक, सड़क का काम पूरा होने के बाद यहां से लोगों को लाने- ले जाने का काम आसान होगा। 30 साल के इलियास ने बताया कि वह पिछले आठ महीनों से लगातार सड़क निर्माण में जुटे हैं , इसके चलते वे मार्च में जन्में अपने बच्चे को देखने तक नहीं जा पाए थे।
जिस राजमार्ग को बनाने के काम में इलियास लगे हैं, वह तीन साल में पूरा हो जाने की उम्मीद है। यह सड़क सीमाई इलाकों को उस 8.8 किलोमीटर लंबी सुरंग से भी जोड़ेगी, जिसका अगले कुछ हफ्तों में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करने वाले हैं। बता दें कि इस वक्त लद्दाख को भारत से जोड़ने वाले दो मुख्य हाईवे हैं, लेकिन वे सर्दी में बर्फ जमने की वजह से चार महीने के लिए बंद हो जाते हैं। ऐसे में लद्दाख में आपात स्थिति में सामान पहुंचाने का काम हेलिकॉप्टरों द्वारा ही किया जाता है।