विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में जाने और बहुसंख्यकों के हिसाब से देश चलने की बात कहने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ विपक्ष ने तैयारी शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने के बाद विपक्ष ने महाभियोग प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस देने की मुहिम शुरू कर दी है। इसके लिए सांसदों के हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। यही नहीं कई सांसदों ने तो इसके लिए मुहिम भी शुरू दी है।
36 सांसदों के लिए साइन
इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा सांसद और वकील कपिल सिब्बल द्वारा शुरू की गई याचिका पर अलग-अलग पार्टियों से 36 विपक्षी सांसदों ने पहले ही हस्ताक्षर कर दिए हैं। विपक्ष कई और सांसदों के भी संपर्क में है। जिन लोगों ने अभी तक इस मुहिम में हस्ताक्षर किए हैं उनमें कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश और विवेक तन्खा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले और सागरिका घोष, राजद के मनोज कुमार झा, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, सीपीआई (एम) के जॉन ब्रिटास शामिल हैं। वहीं सीपीआई के संदोष कुमार भी शामिल हैं। नोटिस में संविधान के अनुच्छेद 124(4) और 124(5) के साथ न्यायाधीश (जांच) अधिनियम की धारा 3(1)(बी) के तहत न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है।
महाभियोग की क्या है प्रक्रिया
बता दें कि न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 के अनुसार, यदि किसी न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत लोकसभा में पेश की जाती है तो उसे कम से कम 100 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव के माध्यम से पेश किया जाना चाहिए और यदि राज्यसभा में पेश की जाती है तो 50 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव के माध्यम से पेश किया जाना चाहिए। एक बार जब सांसद प्रस्ताव पेश करते हैं, तो सदन का पीठासीन अधिकारी इसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। यदि स्वीकार किया जाता है, तो शिकायत की जांच करने और यह निर्धारित करने के लिए दो न्यायाधीशों और एक न्यायविद् वाली तीन सदस्यीय समिति गठित की जाती है कि क्या यह महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए उपयुक्त मामला है।
समिति में सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं, यदि शिकायत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के विरुद्ध है, या यदि शिकायत सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश के विरुद्ध है, तो सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश शामिल होते हैं। संविधान के अनुच्छेद 124 (4) में कहा गया है कि महाभियोग के प्रस्ताव को “उस सदन की कुल सदस्यता के बहुमत और सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा समर्थित होना चाहिए” – लोकसभा और राज्यसभा दोनों में।
महाभियोग के बाद क्या होता है
किसी भी जज के खिलाफ महाभियोग पास होने के बाद राष्ट्रपति की ओर से उस जज को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। यह प्रक्रिया संवैधानिक कार्रवाई होती है। इसके बाद कोई भी जज सरकारी सेवा नहीं ले सकता है। महाभियोग में कोई आपराधिक मामला भी शामिल होता है। हालांकि इस प्रक्रिया के बाद भी आपराधिक मामले की जांच सामान्य रूप से चलती रहेगी। बता दें कि कोलकाता हाई कोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ पैसों को लेकर ये प्रस्ताव आया लेकिन उन्होंने पहले ही इस्तीफा दे दिया।
शेखर यादव ने क्या दिया था बयान
समान नागरिक संहिता पर आयोजिक एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव ने कहा था कि भारत बहुसंख्यक आबादी की इच्छा के अनुसार काम करेगा। जस्टिस यादव ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है और यह देश यहां रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। यह कानून है। यह हाईकोर्ट के जज के तौर पर बोलने जैसा नहीं है, बल्कि कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से चलता है। इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें तो बहुसंख्यकों का कल्याण और खुशी सुनिश्चित करने वाली बात ही स्वीकार की जाएगी। आगे पढ़ें कौन हैं जस्टिस शेखर यादव और कब-कब सुर्खियों में रहे