देश के नाम को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। मंगलवार सुबह से विपक्षी दलों के नेता राष्ट्रपति कार्यालय से जुड़ा एक इन्विटेशन कार्ड साझा कर रहे हैं। जिसपर लिखे ‘Republic of Bharat’ से आपत्ति जताई जा रही है। दरअसल यह इन्विटेशन कार्ड राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से G20 समिट में आने वाले अलग-अलग मुल्कों के नेताओं को भेजा गया है।
ऐसी भी अटकलें हैं कि देश का नाम INDIA से बदलकर भारत कर दिया जाएगा या इस पर विचार किया जा रहा है। भले ही संविधान के अनुच्छेद 1 में दोनों नामों का उपयोग किया जाता रहा है। संविधान में लिखा है, ‘भारत, अर्थात् इंडिया, राज्यों का संघ होगा’ इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक और भारतीय रेलवे जैसे कई नामों में पहले से ही भारतीय जुड़ा हुआ है।
वक्त-वक्त पर उठता रहा है मुद्दा
INDIA और भारत को लेकर बहस पहली बार नहीं हो रही है। इससे पहले भी यह मामला सामने आता रहा है। जून 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान से “इंडिया” को हटाने और केवल भारत को बनाए रखने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। यह याचिका यह कहकर दायर की गई थी कि INDIA शब्द को हटाने से हमें अंग्रेजों के दौर की सोच से आजादी मिल जाएगी।
‘भारत’ शब्द कहां से आया?
‘भारत’, ‘भरत’ या ‘भारतवर्ष’ की जड़ें पौराणिक साहित्य और महाकाव्य महाभारत में पाई जाती हैं। पुराणों में भारत का वर्णन दक्षिण में हिन्द महासागर और उत्तर में हिमालय के बीच की भूमि के रूप में किया गया है।
सोशल साइंटिस्ट कैथरीन क्लेमेंटिन ओझा ने भारत की व्याख्या एक धार्मिक और सामाजिक सांस्कृतिक स्पेस के तौर पर की है। उन्होंने अपने 2014 के लेख, ‘इंडिया, दैट इज भारत : एक देश, दो नाम’ में लिखा कि भारत का मतलब उस उपमहाद्वीपीय क्षेत्र से है जहां समाज की ब्राह्मणवादी व्यवस्था प्रचलित है।
‘इंडिया’ और ‘हिंदुस्तान’ का मतलब?
ऐसा माना जाता है कि हिंदुस्तान नाम ‘हिंदू’ से लिया गया है, हिंदू फारसी भाषा का शब्द है जिसे पुराने जमाने में भारत के लिए प्रयोग किया जाता था। संस्कृत में इसका मूल रूप था सिंधु, जो देश, समुद्र और नदी आदि कई अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। नाम के साथ “स्टेन” का उपयोग किया जाने लगा। जिससे हिंदुस्तान बना।
तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में जब मैसेडोनिया के राजा अलेक्जेंडर ने भारत पर आक्रमण किया तब तक ‘भारत’ की पहचान सिंधु के पार के क्षेत्र से की जाने लगी थी।
मुगलों की शुरुआत के समय तक ‘हिंदुस्तान’ नाम का उपयोग किया गया। इतिहासकार इयान जे बैरो ने अपने लेख, ‘फ्रॉम हिंदुस्तान टू इंडिया: नेमिंग चेंज इन चेंजिंग नेम्स’ में लिखा है कि अठारहवीं शताब्दी के बीच से अंत तक हिंदुस्तान शब्द का पूरी तरह उपयोग किया जाने लगा था।
इसके बाद 18वीं शताब्दी के बीच से ब्रिटिश द्वारा लाए गए मानचित्रों (Map) पर ‘इंडिया’ नाम का यूज तेजी से होने लगा और ‘हिंदुस्तान’ शब्द कहीं गायब होने लगा।
संविधान में ‘इंडिया’ और ‘भारत’ शब्द का उपयोग
‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में जवाहर लाल नेहरू ने ‘इंडिया’, ‘भारत’ और ‘हिंदुस्तान’ शब्द का उल्लेख किया है। नेहरू ने लिखा है, “अक्सर, जब मैं एक बैठक से दूसरी बैठक में घूमता था, तो मैं अपने दर्शकों से हमारे इस इंडिया, हिंदुस्तान और भारत के बारे में बात करता था। भरत प्राचीन संस्कृत नाम जो इस जाति के पौराणिक संस्थापकों से लिया गया है।” लेकिन जब संविधान में इंडिया का नाम रखने का सवाल उठा तो ‘हिंदुस्तान’ हटा दिया गया और ‘भारत’ और ‘इंडिया’ दोनों को बरकरार रखा गया।
17 सितंबर 1949 को संविधान सभा की बहस के दौरान “संघ का नाम और क्षेत्र” विषय पर चर्चा की गई। ठीक उसी समय से पहला अनुच्छेद “इंडिया, यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा” के रूप में पढ़ा गया था। इस दौरान भी सदस्यों के बीच मतभेद खड़ा हुआ था। ऐसे कई सदस्य थे जो ‘इंडिया’ नाम के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ थे, जिसे वे औपनिवेशिक अतीत की याद के रूप में देखते थे।