दिल्ली पुलिस बांग्लादेश और भारत में अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplantation ) रैकेट की जांच कर रही है। इस जांच के सिलसिले दिल्ली के अपोलो अस्पताल के एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने डॉ. विजया कुमारी को एक ऐसे नेटवर्क में कथित तौर पर शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया था, जिसमें बांग्लादेशी नागरिकों को मेडिकल टूरिज्म चैनलों के जरिए से प्रत्यारोपण के लिए उनके पास लाया जाता था।
पूछताछ के दौरान एक आरोपी ने पुलिस को बताया कि कुछ विदेशी मरीजों को डॉक्टर के वरिष्ठ सहयोगी के पास भी भेजा जाता था। सूत्रों ने कहा कि इस खुलासे इस मामले की दो तरह से जांच हो रही है। पुलिस ने दिल्ली और नोएडा के अपोलो अस्पताल के साथ-साथ नोएडा के यथार्थ अस्पताल में बांग्लादेशी नागरिकों से जुड़े सभी किडनी प्रत्यारोपणों की जानकारी भी मांगी हैं, जहां डॉ. विजया कुमारी काम करती थीं।
हर पहलू से जांच में जुटी टीम
दिल्ली पुलिस की जांच में जुटी टीम ने सरकार द्वारा नियुक्त उस कमेटी से भी संपर्क किया है, जो कि किडनी प्रत्यारोपण को अंतिम रूप से मंजूरी देने वाली संस्था है। इससे यह पता लगेगा कि इस पूरे मामले में किसी तरह का घोटाला हुआ है या नहीं। एक सूत्र ने कहा, “आरोपी दावा करेंगे कि उनके पास आवश्यक मंजूरी थी, इसलिए हम जांच करेंगे कि क्या प्राधिकरण समिति का कोई सदस्य इसमें शामिल था.क्या उचित प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया गया था।”
पुलिस ने बताया कि सस्पेंड की गई डॉक्टर विजया कुमारी इस गिरोह के साथ काम करने वाली अकेली डॉक्टर थी। उन्होंने 2021-23 के बीच यथार्थ अस्पताल में करीब 15-16 प्रत्यारोपण किए थे। किडनी प्रत्यारोपण सर्जन के तौर पर वह लगभग 15 साल पहले दिल्ली के अपोलो अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के रूप में शामिल हुई थी। यथार्थ अस्पताल के एक प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि विजया कुमारी अस्पताल में विजिटिंग कंसल्टेंट के तौर पर काम कर रही थी।
कथित रैकेट को लेकर खुलासे हुए हैं कि आरोपी डोनर और रिसीवर के जाली दस्तावेज बनाते थे। ताकि यह साबित किया जा सके कि दोनों एक दुसरे से संबंधित हैं। भारतीय कानून केवल करीबी परिवार के सदस्यों या दूर के रिश्तेदारों और दोस्तों द्वारा किए जाने वाले प्रत्यारोपण की अनुमति देता है। इसमें यह साबित करना होता है कि पैसे के लेन-देन की कोई भूमिका नहीं है।