भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर वैश्विक मंच पर लताड़ लगाई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र करार दिया। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि भारत को किसी ऐसे देश से राय नहीं चाहिए, जहां की सरकार अपने यहां रहने वाले अल्पसंख्यकों पर धार्मिक और जातीय आधार पर जुर्म करती है।
भारत ने UNHRC में अपने राइट-टू-रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुए कहा कि पाकिस्तान की पुरानी आदत रही है कि वह अपने बुरे मंसूबों के लिए भारत के खिलाफ फर्जी और मनगढ़ंत कहानियां बनाता है। भारत के प्रतिनिधि ने पाकिस्तान सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि वह यूएन के प्रतिबंधित आतंकियों को पेंशन देता है और उसके प्रधानमंत्री (इमरान खान) गर्व से मानते हैं कि वे हजारों किशोर आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में लड़ने के लिए ट्रेनिंग देते हैं।
अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की कार्रवाई का जिक्र: भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि कई बहुपक्षीय संस्थान पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा देने के साथ आर्थिक मदद मुहैया कराने के गंभीर मुद्दे को उठा चुके हैं। बता दें कि फ्रांस आधारित आतंकरोधी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) पहले ही पाकिस्तान पर आतंकियों की मदद का आरोप लगाते हुए उसे ग्रे-लिस्ट में डाल चुका है। साथ ही उसने इमरान सरकार को आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए कुछ महीनों का समय भी दिया है।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का मुद्दा भी उठा: भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत के जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र का अहम हिस्सा बताया। साथ ही कहा कि PoK में भारी संख्या में दूसरे हिस्से के लोगों के आ जाने से वहां कश्मीरियों की संख्या काफी कम बची है। प्रतिनिधि ने कहा कि पाकिस्तान में हजारों सिख, हिंदू और इसाई अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चियों का अपहरण, उनकी जबरन शादी और धर्म-परिवर्तन आम मुद्दा है।