भारत ने भूटान के साथ 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से दो सीमा पार रेल संपर्क स्थापित करने की अपनी योजना के बारे में सोमवार को जानकारी दी। भूटान के साथ व्यापार और आर्थिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की यह पहली रेल संपर्क परियोजना है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भूटान के शहरों गेलेफू और समत्से को क्रमशः असम के कोकराझार और पश्चिम बंगाल के बनारहाट से जोड़ने वाली नयी रेल परियोजनाओं का विवरण सार्वजनिक किया।
भारत-भूटान के बीच इन दोनों परियोजनाओं के तहत, 89 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई जाएगी और अगले चार सालों में काम पूरा होने की उम्मीद है। विक्रम मिस्री ने अश्विनी वैष्णव के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, “भारत और भूटान के बीच असाधारण विश्वास, आपसी सम्मान और समझ पर आधारित रिश्ता है।” उन्होंने कहा, “यह एक ऐसा रिश्ता है जो सांस्कृतिक-सभ्यतागत संबंधों, लोगों के बीच व्यापक संबंधों और हमारे साझा विकासात्मक और सुरक्षा हितों पर आधारित है।”
भारत ने भूटान पर अपना रणनीतिक प्रभाव बढ़ाने के चीन के प्रयासों के बीच इन परियोजनाओं की घोषणा की है। मिस्री ने कहा कि दोनों देशों की सरकारें बानरहाट से समत्से और कोकराझार से गेलेफू के बीच रेल संपर्क स्थापित करने पर सहमत हुई हैं। उन्होंने कहा, “यह भूटान के साथ शुरुआती रेल संपर्क परियोजनाएं हैं।”
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4 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा होगी परियोजना की लागत
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा के दौरान रेल संपर्क स्थापित करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। वैष्णव ने कहा कि ये परियोजनाएं कोकराझार और बनारहाट स्थित भारतीय रेलवे नेटवर्क से शुरू होंगी और इसके लिए लगभग 4,033 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है। मंत्री ने कहा, “चूंकि भूटान का अधिकांश निर्यात-आयात व्यापार भारतीय बंदरगाहों के माध्यम से होता है इसलिए भूटान की अर्थव्यवस्था के विकास और लोगों की वैश्विक नेटवर्क तक बेहतर पहुंच के लिए एक अच्छा, निर्बाध रेल संपर्क होना बहुत जरूरी है। समत्से और गेलेफू, भूटान के आर्थिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।”
4 साल में पूरी होगी परियोजना
कोकराझार और गेलेफू के बीच पहली 69 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का विवरण साझा करते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दोनों शहरों के बीच छह स्टेशन होंगे और पूरी लाइन के निर्माण में दो महत्वपूर्ण पुल, 29 बड़े पुल, 65 छोटे पुल, एक रोड-ओवर-ब्रिज (आरओबी) और 39 रोड-अंडर-ब्रिज (आरयूबी) भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि परियोजना 3,456 करोड़ रुपये के निवेश से चार वर्षों में पूरी होगी और 69 किलोमीटर में से 2.39 किलोमीटर लाइन भूटान की तरफ होगी।
वहीं, विदेश सचिव मिस्री ने कहा कि भारत भूटान को विकास के लिए सहायता प्रदान करने वाला सबसे बड़ा देश रहा है और उसने इसके आधुनिकीकरण, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे और देश के समग्र आर्थिक विकास के क्षेत्रों में, महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, “साल 2024 से 2029 तक की भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए भारत सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये की सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई है।”
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(इनपुट-भाषा)