भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर जल्द ही मुहर लग सकती है। व्यापार वार्ता में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन अब निष्कर्ष की ओर बढ़ती दिख रही है क्योंकि दोनों देशों ने समझौते की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अंतिम घोषणा के लिए राजनीतिक सहमति की आवश्यकता होगी।
सिर पर बंदूक रखकर कोई समझौता नहीं- पीयूष गोयल
कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने बर्लिन में एक सम्मेलन मे लक्ष्मण रेखा का जिक्र करते हुए इस बात का संकेत दिया कि भारत कोई भी समझौता समय सीमा या सिर पर बंदूक रखकर नहीं करता। उन्होंने कहा, “कुछ गैर-शुल्क बाधाओं पर चर्चा की जा रही है। टीमों ने कल वर्चुअल सत्र आयोजित किए थे, और सोमवार को कुछ और वर्चुअल वार्ताएँ होंगी। सैद्धांतिक रूप से हम सहमत हो गए हैं और (समझौते) भाषा को अंतिम रूप दे रहे हैं। जहां तक समझौते का सवाल है, दोनों पक्षों में कमोबेश सहमति है। इस बार अमेरिकी वार्ताकार बातचीत के लिए भारत आ सकते हैं।”
कृषि पर क्या होगा?
तेल और कृषि पर पिछले मतभेदों के बारे में एक सवाल पर अधिकारी ने कहा, “हम (कृषि पर) कुछ सामान्य आधार तलाश रहे हैं। वार्ताकार होने के नाते, हम जानते हैं कि ज़्यादा मतभेद नहीं हैं। हम सकारात्मक रूप से बातचीत कर रहे हैं। बातचीत अच्छी चल रही है। हालांकि अभी तक समझौते की घोषणा नहीं हुई है। यह भविष्य में हो सकता है। समझौतों की घोषणा राजनीतिक स्तर पर की जाती है। वार्ताकार होने के नाते हम जानते हैं कि हम समझौते के करीब हैं।”
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अधिकारी ने आगे कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अमेरिका और अन्य देशों के बीच घोषित अन्य समझौतों की तरह एक पारंपरिक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं होगा। अधिकारी ने कहा, “यह एक पारंपरिक FTA नहीं होगा क्योंकि इसमें रेसिप्रोकल टैरिफ हैं जो WTO के मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) शुल्क नहीं हैं। आम तौर पर समझौतों पर MFN बनाम MFN के आधार पर बातचीत होती है। इस लिहाज से यह एक अलग तरह का समझौता होगा।” अधिकारी ने कहा कि जैसे-जैसे अमेरिका धारा 232 के टैरिफ दायरे में और भी ज़्यादा वस्तुओं को शामिल कर रहा है, कुछ क्षेत्रों में, हमारा प्रयास इन चुनौतियों का समाधान करने का होगा।
हम जल्दबाजी में सौदे नहीं करते- गोयल
बता दें कि रेड लाइन्स का जिक्र करते हुए पीयूष गोयल ने शुक्रवार को जर्मनी में बर्लिन ग्लोबल डायलॉग के दौरान कहा कि भारत जल्दबाजी में या सिर पर बंदूक तानकर व्यापार समझौते नहीं करता। उन्होंने कहा, “हम यूरोपीय संघ के साथ सक्रिय बातचीत कर रहे हैं। हम अमेरिका से बात कर रहे हैं, लेकिन हम जल्दबाजी में सौदे नहीं करते और न ही समय सीमा तय करके या सिर पर बंदूक तानकर सौदे करते हैं। व्यापार सौदों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। भारत कभी भी जल्दबाजी में या तात्कालिकता में निर्णय नहीं लेता।”
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार पीयूष गोयल ने आगे कहा कि भारत हाई टैरिफ से निपटने के लिए नए बाजारों की तलाश कर रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत शर्तों के साथ एक निष्पक्ष, दीर्घकालिक व्यापार समझौता कर रहा है? इसपर पीयूष गोयल ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि भारत ने कभी भी राष्ट्रीय हित के अलावा किसी और आधार पर यह तय किया है कि उसके मित्र कौन होंगे। और अगर कोई मुझसे कहता है कि आप यूरोपीय संघ के साथ मित्रता नहीं रख सकते, तो मैं इसे स्वीकार नहीं करूँगा, या अगर कोई कल मुझसे कहता है कि मैं केन्या के साथ काम नहीं कर सकता, तो यह स्वीकार्य नहीं है। किसी देश से कोई विशेष उत्पाद खरीदने का निर्णय पूरी दुनिया को लेना होगा। मैं आज के अखबार में पढ़ रहा था कि जर्मनी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मांग रहा है। ब्रिटेन ने पहले ही अमेरिका से तेल खरीदने की छूट का प्रबंध कर लिया है या शायद उसे मिल भी गई है। तो फिर भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है?”
पीयूष गोयल की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका ने रूसी तेल के आयात पर भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया। 22 अक्टूबर को अमेरिका ने रूस के दो सबसे बड़े कच्चे तेल उत्पादकों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर भी प्रतिबंध लगा दिए, जिससे सभी अमेरिकी संस्थाओं और व्यक्तियों पर उनके साथ व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
पीयूष गोयल ने आगे कहा, “व्यापारिक समझौते लंबी अवधि के लिए होते हैं। यह केवल टैरिफ या वस्तुओं और सेवाओं तक पहुँच के बारे में नहीं है। यह विश्वास और संबंधों के बारे में भी है। दीर्घकालिक संदर्भ में व्यापार समझौते केवल टैरिफ से कहीं अधिक होते हैं, और हम वर्तमान मुद्दों और टैरिफ पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”
भारत और अमेरिका इस वर्ष मार्च से एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। अब तक पांच दौर की वार्ता पूरी हो चुकी है। पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि ये वार्ताएँ आगे बढ़ रही हैं और आशा व्यक्त की कि दोनों पक्ष निकट भविष्य में एक निष्पक्ष और न्यायसंगत समझौते की दिशा में काम करेंगे।
