15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से मिली आजादी के बाद भारत कल अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। आजादी का जश्न मनाते हुए हर साल लाल किले पर भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है जहां देश-विदेश के तमाम गणमान्य लोगों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि भारत के साथ कई और देश भी हैं जिन्हें 15 अगस्त को ही आजादी मिली थी। आइए जानते हैं उन देशों के बारे में जो भारत के साथ साझा करते हैं स्वतंत्रता दिवस।

उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया

द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान ने 15 अगस्त 1945 को आत्मसमर्पण कर दिया था और कोरियाई प्रायद्वीप 35 साल के जापानी औपनिवेशिक शासन से आजाद हुआ था। इस दिन को दक्षिण कोरिया में ग्वांगबोकजेओल और उत्तर कोरिया में ‘जो गुके बांग’ के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब है कि रोशनी की वापसी का दिन। 15 अगस्त 1945 को कोरिया के लोगों को स्वतंत्रता और पहचान वापस मिली लेकिन कुछ साल बाद ही यह देश दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया में बंट गया। साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया इस साल अपना 80वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं।

बहरीन

बहरीन को ब्रिटिश सरकार से 14 अगस्त 1971 को आजादी मिली थी और बहरीन ने 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस घोषित किया। बहरीन के निवासियों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा दिया गया आजादी दिवस मनाने से मना कर दिया और देश के पूर्व बादशाह सलमान अल खलीफा के राजतिलक के दिन 16 दिसंबर को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया गया।

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कांगो

अफ्रीकी देश कांगो 15 अगस्त 1960 को फ्रांस से पूर्ण आजाद हुआ था। इसे पूर्व में फ्रेंच कांगो कहा जाता था। फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के बाद कांगो के लोगों के लिए 15 अगस्त का दिन राष्ट्रीय गौरव और अपनी स्वतंत्रा का प्रतीक बन गया। इस दिन को रिपब्लिक ऑफ कांगो बेहद धूमधाम से मनाता है और परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। कांगो अपना 66वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है।

लिकटेंस्टीन

यूरोप का यह छोटा देश 15 अगस्त 1866 को जर्मन शासन से मुक्त हुआ था। 1940 में लिकटेंस्टीन के प्रिंस फ्रांसिस जोसेफ द्वितीय के जन्मदिन के दिन इसकी शुरुआत हुई थी। यह दिन प्रिंस के जन्मदिन और देश की एकजुटता के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। लिकटेंस्टीन एक अर्ध-संवैधानिक राजतंत्र है जो अपनी परंपराओं के लिए जाना जाता है। पढ़ें- वह किताब बंटवारे के दौरान जिसके लिए अड़ गए थे नेहरू और जिन्ना