एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (ASW) शिप आईएनएस कावारत्ती गुरुवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। विशाखापत्तनम के नेवल डॉकयार्ड में आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने युद्धपोत को नौसेना में शामिल किया। इस पोत के कमीशन होने से पहले नौसेना ने ट्वीट कर कहा कि यह हमारी बढ़ती क्षमता को दिखाती है।
क्या हैं आईएनएस कावारत्ती की खासियत?:
1. आईएनएस कावारत्ती नेवी के प्रोजेक्ट-28 के तहत बना आखिरी एंटी-सबमरीन वॉरशिप है। यह कमोरता क्लास की कॉरवेट है, जो कि मौजूदा समय में नौसेना की सेवा में है। प्रोजेक्ट-28 को 2003 में मंजूरी मिली थी। इस प्रोजेक्ट के तहत पिछले तीन वॉरशिप आईएनएस कमोरता (2014), आईएनए कदमत (2016) और आईएनएस किलतन (2017) थे।
2. आईएनएस कावारत्ती की एक खास बात यह है कि भारत में बने इस पोत में 90 फीसदी मैटेरियल भारत की ही है। इस वॉरशिप में कार्बन कंपोजिट लगाए गए हैं, जिसे भारतीय शिप निर्माण में बड़ा कदम कहा जाता है। इस युद्धपोत का डिजाइन भी नौसेना के संस्थान- डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल डिजाइन द्वारा किया गया है। वहीं, इसके निर्माण का काम कोलकाता गार्डन रिसर्च शिपबिल़्डर और इंजीनियर्स (GRSE) संस्थान ने किया है।
3. इतना ही नहीं इस युद्धपोत में सबमरीन का पता लगाने वाले आधुनिक सेंसर लगे हैं। इसके अलावा इसमें ऐसे हथियार भी हैं, जो सबमरीन को तबाह भी कर देते हैं। इसके अलावा इसे लंबी दूरी के ऑपरेशन के लिए भी तैनात किया जा सकता है। बताया गया है कि इस वॉरशिप ने अपने सभी सिस्टम के समुद्री ट्रायल पूरे कर लिए हैं। इसलिए इसे सीधे नौसेना में शामिल किया जा रहा है।