केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश में कृषि उत्पाद आधारित जैव ईंधन पर बदलाव की वकालत करते हुए देश में किसानों के हालात पर कहा कि, देश के किसान “बुरी हालत” में हैं, वे चावल और गेहूं की खेती करने के बाद “मर रहे हैं” चीनी, चावल, गेहूं और दालें सरप्लस में हैं और इसलिए उन्हें (किसानों को) अपनी फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा है। गडकरी ने सोमवार (7 जनवरी) को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ इंडियन हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के बीच एक समझौते के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा, “पहले प्राथमिकता आदिवासी और एग्रीकल्चर को दो क्योंकि चावल और गेहूं पैदा करके मर गए।” गडकरी, प्रधान से कह रहे थे कि कृषि उत्पादों से प्राप्त जैव ईंधन को किसानों और आदिवासियों की खातिर बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे मुंबई में बर्तन माजने की राख 18 रुपए किलो है, और चावल की कीमत 14 रुपए किलो है। पूरे किसानों की हालत खराब है।
हाल ही में गडकरी के गृह राज्य महाराष्ट्र सहित किसानों ने कीमतों और अन्य मुद्दों पर देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है। विपक्षी कांग्रेस और अन्य पार्टियां मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए “कृषि संकट” और “कम एमएसपी” को हाइलाइट कर रही हैं। बीजद मंगलवार (8 जनवरी) को धान के एमएसपी में बढ़ोतरी की मांग को लेकर दिल्ली में “धरने” पर बैठेगी। गडकरी ने कहा कि समस्या ज्यादा सरप्लस से जुड़ी है। अब कोई भी चीज सरप्लस … चीनी अधिशेष, दाल अधिशेष, गेहूं अधिशेष और मूल्य अभी मुशकिल से हम…”।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम इस समस्या से निपटने के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जी ने इतना अच्छा किया, हम देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में किसानों ने प्याज की कीमत को 50 पैसे प्रति किलो तक होने पर प्याज को फेंक दिया।
कृषि संकट पर गडकरी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, भाजपा के सूत्रों का कहना है कि उन्होंने इंदिरा गांधी की प्रशंसा करके पार्टी को शर्मिंदा किया। मंत्री ने पिछले महीने तब भी विवाद खड़ा किया जब उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व को मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा के पलटवार के बाद चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इस पृष्ठभूमि में, भाजपा की सहयोगी शिवसेना के संजय राउत ने रविवार को कहा कि गडकरी 2019 में “खंडित जनादेश की प्रतीक्षा कर रहे थे।”