पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में कुल 274 सीटों पर चुनाव होना है। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 जून थी। लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट में एक ऐसी याचिका दायर हुई, जिसे देखने के बाद खुद चीफ जस्टिस भी हैरत में रह गए। उन्होंने राज्य चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।
दरअसल, एक याचिका में कहा गया है कि 10 ग्राम पंचायतों, 30 पंचायत समितियों और 3 जिला परिषद के लिए सरकार चुनाव करा रही है। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीफ 1 हफ्ते पहले ही निकल चुकी है। लेकिन जो सीन दिख रहा है उसमें सभी सीटों पर तृणमूल के उम्मीदवार निर्विरोध जीतने वाले हैं। किसी दूसरे दल के उम्मीदवार ने नामांकन ही दाखिल नहीं किया। यहां तक कि कोई निर्दलीय भी परचा भरने नहीं आया।
याचिका में कहा गया- 274 सीटों पर तृणमूल के अलावा कोई और नहीं
चीफ जस्टिस टीएस शिवगनानम और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की बेंच के सामने ये याचिका आई तो वो भी हैरत में रह गए। उनका सवाल था कि ऐसा कैसे हो सकता है कि 274 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में तृणमूल के अलावा किसी ने भी नामांकन दाखिल नहीं किया। उन्होंने राज्य चुनाव आय़ोग से कहा कि वो सारे मसले पर अपना जवाब दाखिल करे। सोमवार तक आयोग से जवाब तलब किया गया है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का कहना था कि ऐसा कैसे हो सकता है कि 274 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कोई सामने ही नहीं आया। उनका कहना था कि ये मसला वाकई गंभीर है। इस पर थर्ड पार्टी यानि राज्य चुनाव आयोग से जवाब लिया जाना बेहद जरूरी है। तभी मामले की सुनवाई हो सकेगी।
रिटर्निंग अफसर के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश
गौरतलब है कि हाईकोर्ट की जस्टिस अमृता सिन्हा की बेंच के सामने भी बीते दिन इसी तरह की याचिकाएं आई थीं। उनमें कहा गया था कि विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से भी रोका जा रहा है। ऐसे ही एक मामले में रिटर्निंग अफसर पर आरोप था कि उन्होंने नामांकन पत्रों से छेड़छाड़ की। उस मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है। अदालत का कहना था कि राज्य चुनाव आयोग जांच नहीं कर पाएगा।