केंद्र सरकार के तीन नए कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। देश में करीब तीन दर्जन किसान संगठनों ने इन बिलों के खिलाफ आवाज उठाई है और नवंबर की 26 तारीख से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी अन्नदाताओं ने मोदी सरकार से इन बिलों को वापस लेने की मांग की है।
कृषि बिलों पर समाधान के लिए किसान संगठनों और सरकार के बीच पांच चरण में वार्ता हो चुकी है मगर कोई समाधान नहीं निकला। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अब 9 दिसंबर को किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है। बताया जाता है कि सरकार की पूरी कोशिश है इन बिलों को वापस ना लिया जाएगा और बिलों में कुछ संशोधन कर किसानों को मना लिया जाएगा। हालांकि अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने भारी विरोध प्रदर्शन के चलते एक अध्यादेश वापस ले लिया था।
कौन सा था वो अध्यादेश?
मई, 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के कुछ महीनों के भीतर मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम (RFCTLARR) 2013 में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश लान की घोषणा की। दरअसल 2013 तक देश में जमीनों का अधिग्रहण ‘भूमि अधिकरण अधिनियम, 1894’ के तहत होता था। मगर तत्कालीन यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिर में इस 110 साल पुराने कानून को बदला दिया जो एक जनवरी 2014 से लागू हो गया।
इस नए कानून को लागू होने के ठीक एक साल बाद 31 दिसंबर, 2014 को मोदी सरकार RFCTLARR (संशोधन) अध्यादेश, 2014 को लागू करके इसमें संशोधन करने की मांग की। इस अध्यादेश के जरिए सरकार ने 2013 के अधिनियम में कई तरह के बदलाव करने की कोशिश की।
मोदी सरकार ने जब 24 फरवरी, 2015 को लोकसभा में अध्यादेश को बदलने के लिए विधेयक पेश किया तो विपक्ष के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। हालांकि बिल दस मार्च को लोकसभा में पास हो गया मगर राज्यसभा में इसे पास नहीं कराया जा सका। जब विधेयक को उस साल बजट सत्र के पहले चरण में संसद की मंजूरी नहीं मिल सकी तो मोदी सरकार तीन अप्रैल को RFCTLARR (संशोधन) अध्यादेश, 2015 फिर ले आई।
इस बीच विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साधता रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में 20 अप्रैल, 2015 में दिए अपने भाषण में मोदी सरकार को खूब निशाने पर लिया। उन्होंने सरकार पर किसानों की समस्या को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार उनकी आवाज नहीं सुनती। ये सरकार सिर्फ उद्योगपतियों की सरकार है। मोदी सरकार सिर्फ बड़े लोगों की है।
उल्लेखनीय है कि भारी विरोध के बीच बजट सत्र के दूसरे सत्र में विधेयक को जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया। इसके बाद सरकार ने 30 मई को RFCTLARR (संशोधन) द्वितीय अध्यादेश, 2015 के रूप में फिर से जारी किया। संशोधन के खिलाफ भारी नाराजगी को भांपते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब मन की बात में अध्यादेश वापस लेने का ऐलान किया।
पीएम ने 31 अगस्त, 2015 के अपने प्रसारण में कहा कि मैंने हमेशा से कहा है कि सरकार भूमि अधिग्रहण अधिनियम के मुद्दे पर सभी विचारों और सुझावों का स्वागत करती है। मैंने बार-बार दोहराया है कि मैं किसानों के हित में किसी भी सुझाव के लिए तैयार हूं। 31 अगस्त को इस अध्यादेश की समय सीमा समाप्त हो रही है। मैंने फैसला लिया है कि इस अध्यादेश को खत्म कर दिया जाए।