छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ इलाका, जहां शुक्रवार (4 अक्तूबर) को सुरक्षा बलों ने 31 माओवादी मार गिराए हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस ने बताया है कि इस साल मारे गए 185 नक्सलियों में से कम से कम 97 माओवादियों को यहीं अबूझमाड़ में मारा गया है। माना जा रहा है कि यह राज्य के इतिहास में सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान है। सुरक्षा बलों के मुताबिक इस साल ‘माड़ बचाओ अभियान’ के तहत 40 से ज़्यादा नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए हैं। इसमें अप्रैल से अब तक छह बड़े अभियान शामिल हैं, जिनमें कुल 63 माओवादी मारे गए हैं।
खूफिया जानकारी के बाद चलाया गया था अभियान
सुरक्षा बलों के मुताबिक शुक्रवार का अभियान पूर्वी बस्तर संभाग से माओवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिलने के बाद चलाया गया था। खुफिया जानकारी में सुरक्षा बलों को प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सशस्त्र शाखा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की कंपनी नंबर 6 और प्लाटून 16 तथा पार्टी की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के वरिष्ठ सदस्यों की मौजूदगी के बारे में सचेत किया गया था।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि इस साल अबूझमाड़ के मुख्य इलाके के साथ-साथ इसके बाहरी इलाकों में भी कई नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए। इन अभियानों ने क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों को एक बड़ा झटका दिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि माओवादियों को अबूझमाड़ या बस्तर के किसी अन्य क्षेत्र में कोई सुरक्षित क्षेत्र न मिले। उन्होंने कहा कि अब माओवादी नेतृत्व और कार्यकर्ताओं के पास हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का एकमात्र विकल्प बचा है।
सुरक्षा बलों का क्या कहना है?
सुरक्षा बलों ने दावा किया है कि उन्होंने अबूझमाड़ के लगभग 50 प्रतिशत हिस्से को कवर कर लिया है, जिसे वह एक बड़ी उपलब्धि बताते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसका कभी सर्वे नहीं हुआ है। माना जाता है कि यह गोवा से भी बड़ा है और 1980 के दशक से नक्सलियों का गढ़ रहा है। यह छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों तक फैला हुआ है और महाराष्ट्र में गढ़चिरौली की सीमा से लगा हुआ। अबूझमाड़ में लगभग 200 गांव शामिल हैं। अनुमान है कि यहां 40,000 लोगों की आबादी है। यह नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। अधिकारियों का कहना है कि इसके 90% क्षेत्र में सर्वे नहीं हुआ है। यहां रहने वाले लोगों को अबूझमाड़िया कहा जाता है, जो छत्तीसगढ़ के सात विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए एक छोटा सा शब्द है।
राजनीतिक दलों के लिए क्यों जरूरी है अबूझमाड़?
यहां राजनीतिक दलों के लिए हर वोट मायने रखता है। क्योंकि 2018 में कांग्रेस के चंदन कश्यप ने नारायणपुर में दो बार के मंत्री और तीन बार के विधायक भाजपा के केदार कश्यप को सिर्फ 2,647 वोटों के अंतर से हराया था। हालांकि पांच भाजपा नेताओं पर हुए घातक हमलों के बाद मतदान को लेकर डर बना हुआ है, जिससे इस बार मतदान और भी कम होने की संभावना है। नारायणपुर जिले के भाजपा चुनाव समन्वयक रतन दुबे कहते हैं कि मैंने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा है कि अबूझमाड़ में मतदान केंद्रों पर जाने का जोखिम लेने की कोई जरूरत नहीं है। न ही कांग्रेस कार्यकर्ता यह जोखिम उठा रहे हैं।