बजट 2020 की चर्चाओं के बीच अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की विकास दर में कटौती की है। आईएमएफ ने पहले वित्तीय वर्ष 2019 में भारत की विकास दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। अब आईएमएफ ने इसे घटाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है। रिपोर्ट में इस गिरावट की वजह घरेलू मांग में आयी तेज कमी और नॉन बैंक फाइनेंशियल (एनबीएफसी) सेक्टर में आयी मंदी को प्रमुख वजह बताया गया है।

आईएमएफ की वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक (WEO) रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2020 के लिए भारत की विकास दर 5.8% रहने का अनुमान जताया है, जो कि पहले अनुमान से 0.9 प्रतिशत कम है। रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2021 के लिए विकास दर 6.5% रहने का अनुमान जताया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए मौद्रिक और राजकोषीय घाटे में सुधार के साथ ही वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट आना भी जरूरी है।

गौरतलब है कि सरकार ने अपने अनुमान में मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत की विकास दर 5% रहने का दावा किया था। लेकिन आईएमएफ की ताजा रिपोर्ट से सरकार के इस दावे को झटका लगा होगा।

आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथन ने दिसंबर में कहा था कि भारत की विकास दर के अनुमान की जल्द समीक्षा की जाएगी और संभव है कि इसमें कटौती की जाएगी। आईएमएफ के साथ ही अन्य एजेंसियों ने भी भारत की विकास दर में कटौती की है।

WEO रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में चीन की विकास दर 6.1% रही, वहीं मौजूदा वित्तीय वर्ष में इसके 6% रहने का अनुमान है। वैश्विक तौर पर आईएमएफ ने अर्थव्यवस्था में तेजी का अनुमान जताया है। आईएमएफ के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था 3.3% रहने का अनुमान है, जो कि 2019 में 2.9% रही थी।

बीते सप्ताह संयुक्त राष्ट्र ने वित्तीय वर्ष 2020 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 5.7% से घटाकर 5% कर दिया था। इसके साथ ही वर्ल्ड बैंक ने भी अपने पूर्व के अनुमान 6% में कटौती कर भारत की विकास दर 5% रहने का अनुमान जताया था।

भारत सरकार की तरफ से अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए कई उपाय किए गए हैं, जिनमें कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, अटके हुए आवासीय प्रोजेक्ट के लिए रियल एस्टेट फंड देना आदि जैसे प्रयास शामिल हैं। माना जा रहा है कि आगामी बजट में सरकार इस दिशा में कुछ और कदम उठा सकती है।