नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के विरोध में शुक्रवार (दो अगस्त, 2019) को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने चार अगस्त को एक आपातकालीन बैठक बुलाने का फैसला लिया है। आईएमए ने इसी के साथ कहा है कि वह हड़ताली डॉक्टरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी।

आधिकारिक बयान जारी कर आईएमए ने कहा, “चार अगस्त, 2019 को आईएमए मुख्यालय द्वारा इमरजेंसी एक्सटेंडेड एक्शन कमेटी मीटिंग बुलाई गई है, जिसका मकसद एकजुटता दिखाना है। साथ ही यह भी संदेश देना है कि हम रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन्स और मेडिकल छात्र-छात्राओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।”

आईएमए की ओर से यह बैठक ऐसे वक्त पर बुलाई गई है, जब देश भर के डॉक्टर्स और मेडिकल स्टूडेंट्स ने एनएमसी बिल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, जबकि गुरुवार को यह विधेयक संसद के उच्च सदन यानी कि राज्यसभा में पारित हुआ है।

डॉक्टर्स इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वालों के लिए लाइसेंस जरूरी करने और पीजी कोर्स/’नेक्स्ट’ के लिए प्रवेश परीक्षा से जुड़े बिल की धारा 32 और 15 के खिलाफ भी आवाज बुलंद कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह विधेयक केंद्र सरकार को एनएमसी के किसी भी सुझाव को रद्द करने की ताकत देता है।

वैसे, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस बिल को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया है और कहा था कि इससे डॉक्टर्स व मेडिकल छात्रों का लाभ होगा। एनएमसी बिल के जरिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन ले लेगा। यह इसके साथ ही एमसीआई में चुने गए 75 फीसदी से लेकर एनएमसी में 20 प्रतिशत सदस्यों का प्रतिनिधित्व घटा देगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों से की भेंट, किया काम पर लौटने का अनुरोधः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एनएमसी बिल को लेकर प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से शुक्रवार को भेंट की। साथ ही उनसे काम पर लौटने का अनुरोध किया। मंत्री ने कहा कि यह विधेयक डॉक्टरों, मरीजों, मेडिकल छात्रों तथा समाज के हित में है।

केंद्रीय मंत्री की यह अपील ऐसे समय में सामने आई है जब विभिन्न सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर इस विधेयक के खिलाफ लगातार दूसरे दिन भी हड़ताल पर हैं, जो चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र को नियमित करने की मांग कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह विधेयक नीमहकीमी को बढ़ावा देता है और यह ‘‘गरीब विरोधी, छात्र विरोधी एवं अलोकतांत्रिक हैं।’’