भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) बॉम्बे के औद्योगिकी डिजाइन केंद्र से स्नातकोत्तर कर रहे जुल्कार ने कुछ शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ मिल कर कोरोना मरीजों के लिए एक वेंटिलेटर विकसित किया है। इस वेंटिलेटर में आम चीजों जैसे प्लाईवुड और ड्रॉअर (दराज) में लगने वाली गरारी का उपयोग किया गया। जुल्कार पूर्णबंदी से पहले ही गुलमर्ग चले गए थे।
जुल्कार ने बताया कि कोरोना विषाणु संक्रमण के कारण आइआइटी बॉम्बे ने सभी विद्यार्थियों को अपने-अपने घर भेज दिया था। मैं भी गुलमर्ग आ गया। उन्होंने बताया यहां आकर पता चला कि कश्मीर के अस्पतालों में बहुत कम वेंटिलेटर हैं, जो कोरोना मरीजों अति आवश्यक होता है। उन्होंने बताया कि इसके बाद मैंने अपने साथियों आसिफ शाह और पीएस शोएब से संपर्क किया और वेंटिलेटर के विचार पर काम करने के लिए एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया। इसके बाद इस्लामिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आइयूएसटी) के औद्योगिक डिजाइन केंद्र के संयोजक शाहकार नेहवी और एनआइटी के माजिद हमीद कौल की हमें मदद मिली। उन्होंने बताया कि इसके बाद हमने आइयूएसटी में तीन रहकर इस वेंटिलेटर को बनाया।
जुल्कार ने बताया कि इस वेंटिलेटर का नाम ‘रुहदार’ रखा गया है और इसे बनाने में आसानी से मिलने वाली चीजों का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया कि इसके कुछ भाग हमने थ्रीडी प्रिंटर से तैयार किए। उन्होंने कहा कि परीक्षण के बाद जल्द ही इस वेंटिलेटर का इस्तेमाल अस्पतालों में होने लगेगा। उन्होंने बताया कि वे अपनी इस तकनीक को अस्पतालों को मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे। जुल्कार की टीम को उनके इस कार्य में प्रशासन की बहुत मदद मिली। ऐसे समय में जब कोई भी अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकता था, तब प्रशासन की ओर से हमें पास दिए गए ताकि हम विश्वविद्यालय पहुंच सकें।
जुल्कार ने बताया कि जम्मू कश्मीर ने अभी भी 2जी इंटरनेट सेवाएं बहाल हो पाई हैं। ऐसे में हमें हार्वर्ड मेडिकल विश्वविद्यालय में मौजूद अपने मेंटर से बात करने में समस्या आई। इसके अलावा हमें गूगल से सर्च करने में भी बहुत मुश्किल हुई।

