भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास के कार्यकारी एमबीए (ईएमबीए) पाठ्यक्रम के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस पाठ्यक्रम की कक्षाएं जनवरी, 2023 से शुरू होंगी। यह पाठ्यक्रम खास कर मध्य करिअर पेशेवरों के हिसाब से तैयार किया गया है। दो साल का पाठ्यक्रम परिश्रम और व्यावहारिक अभ्यास पर आधारित है। यह पाठ्यक्रम आइआइटी मद्रास के प्रबंधन अध्ययन विभाग ने पेश किया है जो एनआइआरएफ रैंकिंग-2022 में सर्वश्रेष्ठ 10 ‘बिजनेस स्कूलों’ में स्थान बना चुका है।
इस पाठ्यक्रम के तहत डिजिटल अर्थव्यवस्था, वैश्विक रणनीति और उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियां आदि डोमेन में उद्योग जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप अत्याधुनिक ज्ञान प्रदान करना है। इसके अलावा इस पाठ्यक्रम में सोशल मीडिया और इंटरनेट मार्केटिंग का अनुभव देगा जो मौजूदा दौर के किसी व्यवसाय, मंच के अर्थशास्त्र और विश्व व्यापार प्रबंधन के लिए अत्यावश्यक है। इनके अतिरिक्त साइबर सुरक्षा, व्यवसाय माडल और नवोन्मेष को भी पाठ्यक्रम में शामिल किए गए हैं। विद्यार्थियों को प्रौद्योगिकी के नए पहलुओं जैसे आधुनिक निर्माण प्रक्रियाओं और थ्री-डी प्रिंटिंग की जानकारी भी दी जाएगी। आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 अक्तूबर 2022 है। इच्छुक उम्मीदवार आनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
यूजीसी ने शिक्षकों के लिए जारी कीं पांच शोध योजनाएं
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों के लिए पांच शोध योजनाएं जारी की हैं। शोध योजनाओं में पहली योजना का नाम ‘सेवानिवृत्त संकाय सदस्यों के लिए अध्येतावृत्ति’ है। यह अध्येतावृत्ति 67 साल के ऐसे शिक्षकों को उपलब्ध कराई जाएगी जो या तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं या फिर छह महीने में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। दूसरी योजना का नाम ‘सेवाकालीन संकाय सदस्यों के लिए अनुसंधान अनुदान’ है। यह अनुदान 50 साल तक के शिक्षकों को मिलेगा। दो साल की इस योजना के अंतर्गत 200 शिक्षकों को 10 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा। तीसरी योजना नए शिक्षकों के लिए है। इस योजना का नाम ‘नए भर्ती किए गए संकाय सदस्यों के लिए डा. डीएस कोठारी अनुसंधान अनुदान’ है।
भारतीय विश्वविद्यालयों/संस्थानों में भाषाओं सहित विज्ञान, इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी, मानविकी व सामाजिक विज्ञान में उन्नत अध्ययन और अनुसंधान करने का अवसर प्रदान करने के लिए ‘डा. राधाकृष्णन यूजीसी पोस्ट-डाक्टोरल अध्येतावृत्ति’ नाम की योजना शुरू की गई है। एकल बालिका की शिक्षा को बढ़ावा देने और शोध कार्य को आगे बढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री करने को प्रोत्साहित करने के लिए ‘एकल बालिका के लिए सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले छात्रवृत्ति’ शुरू की गई है। यह छात्रवृत्ति पांच साल के लिए दी जाएगी।
अपने परीक्षा केंद्र बनाने पर विचार कर रही राष्ट्रीय परीक्षा एजंसी
साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के आयोजन को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजंसी (एनटीए) अपना केंद्र स्थापित करने के सुझाव पर विचार कर रही है। एनटीए के महानिदेशक विनीत जोशी ने एक साक्षात्कार में कहा कि अगले साल सीयूईटी के आयोजन को लेकर परीक्षा केंद्र के संबंध में कई तरह के सुझाव आ रहे हैं। एक सुझाव यह है कि चुनिंदा संस्थानों पर परीक्षा केंद्र बनाए जाएं, दूसरा यह है कि एनटीए अलग से अपने परीक्षा केंद्र स्थापित करे। उन्होंने कहा कि वर्तमान परीक्षा (सीयूईटी) की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन सुझावों पर विचार किया जाएगा।
अंतत: हमारा मकसद यह है कि परीक्षा सुरक्षित होनी चाहिए और इसकी निष्पक्षता बनी रहे। इसे ध्यान में रखकर ही विचार किया जाएगा कि क्या बेहतर होगा। ‘मिश्रित माडल’ अपनाए जाने पर भी विचार किया जाएगा। देश भर के विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए पहली बार आयोजित की गई सीयूईटी-स्नातक परीक्षा 30 अगस्त को संपन्न हो गई है। इस परीक्षा के लिए करीब 15 लाख विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया था और प्रथम संस्करण में करीब 60 फीसद उपस्थिति दर्ज की गई थी।