राजस्थान के जोधपुर में स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने का दावा किया है जिससे यातायात दबाव और सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। संस्थान के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग द्वारा विकसित ‘नोवेल मैक-आधारित प्रमाणीकरण योजना’ (एनओएमएएस) का उद्देश्य न केवल वाहन सुरक्षा को बढ़ाना है, बल्कि देश की सड़कों पर विभिन्न चुनौतियों का समाधान भी करना है।
इस तकनीक को विकसित करने में शामिल एक प्रोफेसर ने कहा कि इस तकनीक के जरिए सड़क की स्थिति, दुर्घटनाओं और यातायात जाम के संबंध में आंकड़ों को उपलब्ध कराकर सड़क सुरक्षा को बढ़ाना है। आफ व्हीकल्स नेटवर्क’ के माध्यम से एकत्र और साझा किए गए आंकड़ों का विश्लेषण दुर्घटना-संभावित क्षेत्रों और सड़क की स्थिति की पहचान करने के लिए भी किया जा सकता है। यह तकनीक ‘इंटरनेट आफ व्हीकल्स’ यानी आइओवी नेटवर्क के आधार पर काम करती है। कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर देबासिस दास ने कहा कि इस तकनीक सड़क सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास किया गया है।
अगर कोई वाहन चालक तनाव में वाहन चला रहा है तो ये सिर्फ उसके लिए खतरनाक नहीं है बल्कि सड़क पर चल रहे दूसरे लोगों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। इस शोध की मदद से चालक के गाड़ी चलाने के पैटर्न का विश्लेषण किया जा सकता है और उस आधार पर ये पता लगाया जा सकता है कि कहीं वो चालक तनाव में तो वाहन नहीं चला रहा है।
अगर ये पता चलता है कि चालक तनाव में ड्राइविंग कर रहा है तो इसे रोकने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा सकते हैं जैसे चालक को लगातार की जा रही यात्राओं के बीच में विश्राम दिया जा सकता है, चेतावनी का संदेश देकर सतर्क किया जा सकता है या फिर तनाव में गाड़ी चलाने पर चालक पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इस शोध के तहत आइआइटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने एक डीडी-मानीटर नाम का एक टेस्टबेड विकसित किया है, जो ‘रियल टाइम’ में ड्राइविंग का डेटा इकट्ठा कर सकता है और असामान्य ड्राइविंग पैटर्न को पहचान पर वाहन चालक के तनाव का आकलन कर सकता है। जोधपुर की सड़कों पर डीडी-मानीटर का एक परीक्षण सफलतापूर्वक किया भी जा चुका है। डीडी-मानिटर की खासियत यह है कि यह हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है। माता-पिता इसका उपयोग अपने बच्चों की निगरानी के लिए कर सकते हैं। कार किराए पर देने वाली कंपनियां वाहन चलाने के तरीके के आधार पर किराया वसूल कर सकती हैं।