राष्ट्रपति भवन में इस साल इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया जाएगा। बता दें कि राष्ट्रपति भवन में हर साल इफ्तार पार्टी का आयोजन होता रहा है, बस 2002-07 तक का कार्यकाल इसका अपवाद है। दरअसल 2002-07 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के कार्यकाल में भी इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया गया था। कलाम के कार्यकाल के बाद अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अशोक मलिक ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया है कि ‘राष्ट्रपति भवन धर्मनिरपेक्ष राज्य की अभिव्यक्ति करता है। यही वजह है कि गवर्नेंस और धर्म के मामलों को अलग रखा गया है। करदाताओं के पैसे को किसी धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन में खर्च नहीं किया जाएगा।’

उल्लेखनीय है कि कलाम के कार्यकाल में इफ्तार पार्टी की रवायत को पहली बार खत्म किया गया था। एपीजे अब्दुल कलाम के समय में इफ्तार पार्टी पर होने वाले खर्च को गरीब और अनाथ लोगों में बांटा गया था, ताकि रमजान के महीने में इन गरीबों की मदद हो सके। हालांकि एपीजे अब्दुल कलाम के बाद प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन में फिर से इफ्तार पार्टियों का चलन शुरु हो गया था। जिसे प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल में भी कायम रखा गया था। बता दें कि रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के दौरान बीते साल क्रिसमस के मौके पर भी राष्ट्रपति भवन मे कैरोल सिंगिंग का कार्यक्रम भी आयोजित नहीं किया गया था। इससे पहले साल 2016 तक हर साल राष्ट्रपति भवन में कैरोल सिंगिंग का कार्यक्रम आयोजित होता रहा था। सिर्फ साल 2008 में प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के दौरान एक साल इसका आयोजन नहीं किया गया था। ऐसा 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के कारण किया गया था।

बता दें कि करदाताओं के पैसों से होने वाली इन धार्मिक पार्टियों पर लंबे समय से बहस चल रही है। तेलंगाना में भी सरकार एक भव्य इफ्तार पार्टी आयोजित करने जा रही है, जिसके खिलाफ विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तेलंगाना में इस इफ्तार पार्टी के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है और इसे करदाताओं के पैसे की बर्बादी बताया है।