भारत की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। कंपनी पर करीब 1.6 करोड़ रुपयों का बकाया है। यदि VI खुद को दिवालिया घोषित कर देती है तो सरकार को इससे बहुत बड़ा नुकसान होगा। कंपनी के दिवालिया होने पर बैंकों के 23 हजार करोड़ का लोन भी डूब जाएगा। यह लोन देश के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों द्वारा दिया गया है।

इसके अलावा बैंकों ने वोडाफोन-आइडिया के लिए हजारों करोड़ रुपये की गारंटी भी दी है, जिसका डिफॉल्ट होने का खतरा भी बढ़ गया है। बिजनेस मामलों के जानकारों का मानना है कि वोडाफोन-आइडिया जैसी बड़ी कंपनियों के फेल होने पर देश के टैक्सपेयर्स के पैसा का भी नुकसान होता है। ऐसा होने की स्थिति में बैंकों और सरकार का बड़ा नुकसान होने की आशंका है। उन्होंने अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन और एयरसेल कंपनी के डूबने का उदाहरण समझाते हुए बताया कि ऐसी स्थिति में रिकवरी बहुत मुश्किल होती है।

यदि कंपनी के ऊपर कुल कर्ज की बात की जाए तो यह 1.8 लाख करोड़ है। जिस हिसाब से कंपनी को नुकसान हो रहा है उससे देखते हुए कहा जा सकता है कि यह अभी और बढ़ेगा। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक कंपनी पर कुल कर्ज 1.8 लाख करोड़ रुपये से ऊपर का है, उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि कंपनी के लिए फंड की उपलब्धता लगातार चुनौती बनी हुई है। हालांकि कुछ देनदारियों का भुगतान भी हो रहा है।

वोडाफोन आइडिया के वित्तीय परिणामों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार VI का औसत रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) 107 रुपये पर है, वहीं रिलायंस जियो का ARPU 138 और एयरटेल का 145 रुपये है। जानकारों की मानें तो टेलीकॉम सेक्टर की कंपनियों को सरवाइव करने के लिए APRU का 200 रुपये के आस पास होना जरूरी है।

वोडाफोन आइडिया की खराब स्थिति की जानकारी उस वक्त बाहर आ गई जब कंपनी के प्रमोटर्स ने SOS कॉल किया। इन्होंने कंपनी में और निवेश करने से इनकार कर दिया।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वोडाफोन आइडिया में आदित्य बिरला ग्रुप की 27.66 फीसदी हिस्सेदारी है, वहीं ब्रिटेन की वोडाफोन पीएलसी के पास 44.39 प्रतिशत शेयर हैं। बाकी की हिस्सेदारी पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास है।