Vice President Elections: नक्सल हिंसा के पीड़ितों के एक समूह ने शुक्रवार को सभी सांसदों से विपक्ष द्वारा उप राष्ट्रपति पद के चुनाव में उतारे गये उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी का समर्थन न करने की अपील की। बस्तर शांति समिति (बीएसएस) के बैनर तले नक्सली हिंसा के पीड़ितों ने यहां प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश के रूप में रेड्डी ने सलवा जुडूम को समाप्त करने जो आदेश दिया था उसके कारण ही न केवल उनका संघर्ष कमजोर हुआ, बल्कि कई लोगों का जिंदगी भी बर्बाद हो गयी।
दिसंबर 2011 में, शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर न्यायमूर्ति (अब सेवानिवृत) रेड्डी ने फैसला सुनाया था कि माओवादी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में आदिवासी युवकों को विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में इस्तेमाल करना, चाहे उन्हें ‘कोया कमांडो’ कहा जाए या सलवा जुडूम, अवैध और असंवैधानिक है। तब न्यायमूर्ति रेड्डी आदेश दिया कि इन कोया कमांडों से हथियार तत्काल जमा करवाये जाएं।
बीएसएस के संयोजक जयराम ने कहा, “जब सलवा जुडूम को सशक्त बनाया गया, तो नक्सली न केवल कमजोर हो गए, बल्कि विलुप्त होने के कगार पर थे। लेकिन उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश रेड्डी के आदेश के कारण नक्सलियों का हौसला बढ़ गया और वे नासूर बन गए।”
क्या था 2011 का आदेश?
सलवा जुडूम के तहत, छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सली समस्या से निपटने के लिए आदिवासी युवाओं को विशेष पुलिस अधिकारी नियुक्त किया था। उच्चतम न्यायालय की एक पीठ 2011 के अपने आदेश में कहा था कि राज्य अपनी जिम्मेदारियां अप्रशिक्षित निगरानीकर्ताओं को नहीं सौंप सकता । तब इस पीठ ने सलवा जुडूम की गतिविधियों पर रोक लगा दी। इस पीठ में न्यायमूर्ति रेड्डी (सेवानिवृत्त) भी शामिल थे।
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बस्तर के ग्रामीण शियाराम रामटेक ने कहा कि अगर “रेड्डी ने नक्सलियों का समर्थन नहीं किया होता, तो उनका बेटा अब जीवित होता।” उन्होंने बताया कि उनका बेटा एक किसान था, जिसका कथित तौर पर माओवादियों ने अपहरण कर लिया था और बाद में उसकी हत्या कर दी।
अन्य पीड़ित, केदारनाथ कश्यप ने बताया कि माओवादियों ने कथित तौर पर उसके छोटे भाई हत्या कर दी जो पुलिस कांस्टेबल था। अपनी अपील में पीड़ितों ने कहा कि नक्सलियों द्वारा की गई हिंसा के कारण किसी ने आईईडी विस्फोट में अपना पैर खो दिया, कोई अपनी नेत्रदृष्टि गंवा बैठा, किसी की रीढ़ की हड्डी टूट गई, जबकि कोई व्यक्ति स्थायी रूप से विकलांग हो गया।
उन्होंने एक बयान में कहा, “जिस व्यक्ति ने सलवा जुडूम के खिलाफ आदेश दिया था, अब उसे ही उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। हमारे लिए यह बहुत दुख की बात है, मानो हमारे जख्मों पर नमक छिड़का जा रहा हो। हम किसी राजनीतिक विचारधारा या पार्टी से जुड़े नहीं हैं, बस हमें न्याय चाहिए।” (इनपुट – भाषा)
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