Punjab News: पंजाब में भीषण बाढ़ के बाद मंगलवार को स्कूल खुल गए। स्कूलों में पढ़ने आए बच्चों ने अपनी तकलीफें शिक्षकों से साझा कीं। इन बच्चों ने बताया कि बाढ़ के समय उन्हें बहुत डर लगा और अब भी वे डरे हुए हैं। बाढ़ के कारण स्कूल दस दिनों से भी ज्यादा समय तक बंद रहे थे। गांवों से आए बच्चों ने बताया कि यह बाढ़ उनके लिए बहुत दुखद अनुभव रही है।
मोगा की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली चौथी क्लास की छात्रा नवदीप कौर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमारे घर की छत कई दिनों से टपक रही थी। जब बारिश नहीं होती थी तो हम बाहर सोते थे, लेकिन जब बारिश होती थी तो टपकती छत के नीचे चले जाते थे। हमारे घर में पानी घुस जाता था और मेरी मां को अकेले ही सब कुछ संभालना पड़ता था। मेरे पिता नशे के आदी थे और मां को पीटते थे, इसलिए मां ने उन्हें छोड़ दिया। अब वह अकेली हैं और सब कुछ संभाल रही हैं। लगातार बारिश के बाद हमारे घर की हालत बहुत खराब हो गई है।”
हमारा परिवार बहुत गरीब- जशनदीप कौर
मोगा में दूसरी क्लास के छात्र गुरनूर सिंह ने कहा, “भारी बारिश के कारण हमारे घर में कई दिनों से पानी टपक रहा है। मुझे डर लग रहा था कि कहीं पूरा घर पानी से भर न जाए, लेकिन मेरे माता-पिता ने लीकेज रोकने के लिए छत पर सीमेंट की लेयर चढ़ा दीं।” वहीं छात्रा जशनदीप कौर ने बताया, “छत में दरारें पड़ गईं। जब हमारे घर में पानी घुस गया, तो हमने अपने रिश्तेदारों के यहां जाने का फैसला किया। हम अभी भी वहीं रह रहे हैं। हमारा परिवार बहुत गरीब है। जब हमारे घर में पानी घुसा, तो मैंने सोचा कि अगर घर गिर गया तो हम कहां जाएंगे। अगर यह गिर गया, तो हम नया घर नहीं बना पाएंगे। हम बहुत दुखी थे। हमने पहले कभी इतना पानी नहीं देखा था।”
छात्रा ने आगे कहा, “हमने पानी में धान की रोपाई में अपने माता-पिता की मदद की। हमें उनका साथ अच्छा लगता था और हम पैसे भी कमाते थे। हम हमेशा बारिश के मौसम का इंतजार करते थे। हमें हमेशा बारिश पसंद आती है, लेकिन अब हम अपने घर की मरम्मत के लिए दूसरों से मदद ले रहे हैं।” शिक्षकों ने बताया कि बाढ़ की वजह से बच्चों को गहरा आघात लगा है। उन्हें इससे बाहर आने में समय लगेगा।
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बाढ़ सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं- हर्ष गोयल
मोगा के प्राइमरी स्कूल के टीचर हर्ष गोयल ने कहा, “बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, यह अनगिनत कहानियां, दर्द और गहरे जख्म छोड़ जाती है। जब गांव और कस्बे जलमग्न हो जाते हैं, तो यह बच्चों के कोमल मन पर गहरा असर डालती है। जब बाढ़ का पानी कम होने लगता है और जीवन सामान्य होने लगता है, तो स्कूल एक ऐसी जगह बन जाता है जहां बच्चे फिर से मिलते हैं। यह मिलन सिर्फ शारीरिक नहीं होता, यह उन कहानियों को सुनने का भी एक मौका होता है जो उन्होंने अपने दिल में दबा रखी हैं।”
गोयल ने आगे कहा, “स्कूल लौटते बच्चों के चेहरों पर अक्सर अजीब सी खामोशी और उदासी छाई रहती है। उनकी आंखों में खुशी की चमक गायब होती है। बेंचों पर बैठते हुए उनका ध्यान किताब पर नहीं, बल्कि उनके दिमाग में बाढ़ की भयावह तस्वीरें घूम रही होती हैं।” एक अन्य टीचर ने कहा, “कई बच्चे अभी भी इस सदमे से गुजर रहे हैं।” गुरदासपुर जिले में कम से कम 61 स्कूल अभी भी बंद है। इन जिलों में बाढ़ से हालात बेहद खराब हैं।
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