बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड को लेकर राज्य की बाल अधिकार आयोग (बिहार कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स) की अध्यक्ष डॉ.एच.कौर का बयान आया है। शुक्रवार (तीन अगस्त) को पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि साल 2017 में उन्होंने उस शेल्टर होम का दौरा किया था। अध्यक्ष के मुताबिक, उन्होंने तभी शेल्टर होम को खाली कराने के लिए सिफारिश की थी।

न्यूज एजेंसी एएनआई को बाल अधिकार आयोग की अध्यक्ष ने बताया, “मैं पिछले साल वहां गई थी। मैंने वहां पर लड़कियों को कमरे में बंद देखा था। उस मसले पर सवाल भी उठाया था कि आखिर क्यों उन लड़कियों को कैद कर के रखा गया है? मुझे तब बताया गया था कि वे लड़कियां भाग जाएंगी, लिहाजा उन्हें बंद कर के रखा जाता है।”

उन्होंने आगे कहा कि 51 लड़कियां तब वहां थीं, जहां पर शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं तक नहीं थीं। लड़कियां बेहद घबराई हुई थीं। हमारी ओर से इस संबंध में समाज कल्याण विभाग को पहले ही रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है, जिसमें सुझाव दिया गया था कि शेल्टर होम को खाली कराया जाएगा।

आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम (बालिका गृह) में 34 बच्चियों के साथ बलात्कार की पुष्टि हो चुकी है। इससे पहले फरवरी में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल
साइंसेज (टिस्स) की एक टीम ने शेल्टर होम को लेकर एक रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग को सौंपी थी। दावा किया गया था कि शेल्टर होम का रख-रखाव ठीक नहीं है।
रिपोर्ट में बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें सामने आई थीं।

उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर की घटना पर शुक्रवार को अपनी चुप्पी तोड़ी। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि वह इस घटना से शर्मसार हो गए हैं। सीएम ने इसी के साथ आश्वासन दिया कि वह पाप करने वालों को बख्शेंगे नहीं। इस मामले में किसी भी अपराधी को छोड़ा नहीं जाएगा।