सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को मध्य प्रदेश में अपने गृहनगर रीवा में एक सभा को संबोधित किया। यहां पर उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर, युद्ध के भविष्य के बारे में बात की और यहां तक ​​कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर उनके अप्रत्याशित बयानों और भारत और पाकिस्तान के बीच शांति की मध्यस्थता के हालिया दावों पर कटाक्ष किया।

एएनआई के अनुसार, जनरल द्विवेदी ने कहा कि नई चुनौतियां अभूतपूर्व गति से उभर रही हैं, जिससे नए खतरों के सामने आने से पहले उनका जवाब देना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा, “आज ट्रंप क्या कर रहे हैं? मुझे लगता है कि खुद ट्रंप को भी नहीं पता कि कल वे क्या करने वाले हैं। चुनौतियां इतनी तेजी से आ रही हैं कि जब तक आप एक पुरानी चुनौती को समझने की कोशिश करते हैं, तब तक एक नई चुनौती सामने आ जाती है और वही सुरक्षा चुनौतियां जिनका हमारी सेना सामना कर रही है। चाहे वह सीमा पर हो, आतंकवाद पर हो, प्राकृतिक आपदाओं पर हो या साइबर युद्ध पर हो।”

सेना प्रमुख ने कहा, “जिस तरह से अफवाहें फैलाई जाती हैं। जैसा कि आपने ऑपरेशन सिंदूर में सुना, कराची पर हमला हुआ। ऐसी कितनी ही खबरें आईं, जो हमें भी खबर जैसी लगीं। कहां से आईं, किसने कीं? इन सारी चुनौतियों के दायरे में आपको जमीन, आसमान, पानी और तीनों पर काम करना होता है।”

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नमाज के दौरान कोई कार्रवाई नहीं की- सेना प्रमुख

आर्मी चीफ जनरल द्विवदी ने आगे कहा, “ऑपरेशन सिंदूर इसलिए सफल रहा क्योंकि हमने अपने सिद्धांतों और तकनीक की संयुक्त शक्ति से लड़ाई लड़ी। हमने यह सुनिश्चित किया कि पाकिस्तान में किसी भी निर्दोष नागरिक को कोई नुकसान न पहुंचे। हमने केवल आतंकवियों और उनके आकाओं को निशाना बनाया।” रीवा सैनिक स्कूल में छात्रों को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन के दौरान संयम बरता। उन्होंने कहा, “हमने उन जगहों पर हमला किया जहां आतंकी मौजूद थे। हमने निर्दोष नागरिकों या रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाया। ऑपरेशन सिंदूर में हमने अपना लक्ष्य हासिल किया और पाकिस्तान को संदेश दिया कि हम उनके जैसे नहीं हैं।” उन्होंने आगे कहा कि नमाज या नमाज के दौरान कोई कार्रवाई नहीं की गई।

ट्रंप ने बार-बार किया मध्यस्थता का दावा

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि उन्होंने दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच शांति समझौते पर बातचीत की है। हालांकि, भारत ने लगातार इन दावों का खंडन किया है और कहा है कि जम्मू-कश्मीर से जुड़े सभी मुद्दे पूरी तरह से द्विपक्षीय हैं और किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है।

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