Former CJI Chandrachud: पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एक इंटरव्यू में अपनी जिंदगी से जुड़े कई किस्सों का खुलासा किया। इस दौरान चंद्रचूड़ ने कॉलेजियम सिस्टम, कोर्ट के काम करने का तरीका, जजों की नियुक्ति समेत कई मुद्दों पर खुलकर बात की।
चंद्रचूड़ ने इस दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि न्यायपालिक की जजों की नियुक्ति में कोई विशेष रोल नहीं होता है। पूर्व सीजेआई ने कहा कि विशेष हित समूहों द्वारा मामलों के परिणामों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम के बारे में बहुत सी गलतफहमियां हैं, यह बहुत ही सूक्ष्म और बहुस्तरीय है। उन्होंने कहा कि नीति बनाना विधायिका का काम है, लेकिन इसकी वैधता पर निर्णय लेना न्यायालयों का काम है।
पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन पर बात की। जब उनसे पूछा गया कि रिटायरमेंट के बाद उनके 15 दिन कैसे रहे तो उन्होंने कहा, ‘साढे़ आठ साल की आदत थी और उससे पहले 24 साल तक मैं जज रहा हूं और इसके अलावा मेरी दुनिया में इसके अलावा कुछ और काम नहीं था। बस सुबह उठकर केस फाइल पढ़ना, कोर्ट जाना, शाम को आकर जजमेंट डिक्टेट करना और रात को अगले दिन की फाइल पढ़ना।
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चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि इंसान होने के नाते मैं कह सकता हूं कि यह आसान नहीं है कि अचानक जिंदगी में इस तरह का बदलाव आना। हालांकि, कई बार मैं ऐसा सोचता हूं कि जीवन में मैंने कितनी चीजें आत्मसात कर ली हैं, लेकिन कितनी ही चीजें मैंने खोई भी हैं।
पूर्व सीजेआई ने कहा कि मैं 24 सालों में अपने परिवार के साथ लंच नहीं कर पाया और कई बार डिनर के वक्त भी मैं अपने ऑफिस में ही रहता था तो ऐसी कई चीजें हैं, जो मैं अब करना चाहता हूं और कर पा रहा हूं। DY चंद्रचूड़ ने कहा कि प्राइवेट सिटिजन बनकर और ज्यूडिशियल ऑफिस की बाउंडेशन में नहीं होने के बाद मुझे अच्छा लग रहा है।