Justice Jasti Chelameswar On Former CJI Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर अपने बेबाक शैली के लिए जाने जाते हैं। कहा जाता है कि वो अपनी बात को स्पष्ट तौर पर रखते हैं। कुछ ऐसा ही दिसंबर 2024 में आयोजित वायनाड साहित्य महोत्सव के दौरान भी देखने को मिली थी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, संसद सदस्य जॉन ब्रिटास के साथ न्यायालय और राजनीति विषय (Court and Politics Topic) पर बातचीत में जस्टिस चेलमेश्वर ने पूजा स्थल अधिनियम पर पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के रुख के बारे में पूछे गए प्रश्न व्यंग्यात्मक लहजे में जवाब दिया।
ब्रिटास ने जस्टिस चेलमेश्वर से पूछा, ‘2019 में संविधान पीठ के हिस्से के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ और उनके सहयोगियों ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम पवित्र है और 2022 में वही जज कहते हैं कि यह फैसला किसी को खुदाई या सर्वेक्षण करने से नहीं रोकता है। अब कम से कम 11 स्थानों पर मुकदमा चल रहा है और इसने कई जगहों पर दंगे भड़काए हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?’
इस सवाल के जवाब में जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि आप एक विशेष व्यक्ति के नाम का उल्लेख कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि उस नाम पर इतना समय खर्च करना उचित है। उन्होंने न्यायाधीशों के न्यायिक कर्तव्यों में वैचारिक और राजनीतिक झुकाव के बारे में भी बात की।
ब्रिटास ने पूछा कि पक्षपातपूर्ण राजनीति जो बहुत स्पष्ट है। एक ऐसा उदाहरण था जब एक न्यायाधीश ने एक संगठन के बारे में बहुत अच्छी बातें कीं, अपनी नौकरी छोड़ दी, एक राजनीतिक पार्टी में शामिल हो गए, चुनाव लड़े और लोकसभा में पहुंचे। एक अन्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव, एक सांस्कृतिक संगठन की बैठक में भाग लेते हैं, वे भड़काऊ बयान देते हैं। क्या आपको लगता है कि व्यवस्था, मूल्यों का क्षरण हो रहा है? क्या आप राजनीतिक जागरूकता के नाम पर इन चीजों की सराहना करते हैं? “
इस पर जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि मेरी अपनी राजनीतिक प्राथमिकताएं हो सकती हैं। लेकिन एक बार जब मैं उस कुर्सी पर बैठ गया, तो मेरा मानना है कि जनता की विपरीत राय के बावजूद मेरी राजनीतिक संबद्धता या पिछली संबद्धताएं मेरे निर्णय लेने में बाधा नहीं डालतीं। अगर कोई इसका पालन नहीं कर रहा है, तो मैं निश्चित रूप से सहमत नहीं हूं कि यह सही तरीका है। सही तरीका यह है कि इसे (राजनीतिक प्राथमिकताओं को) दूर रखा जाए।
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