केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लेह में हिंसक विरोध प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में रिनचेन दादुल नाम का युवक भी शामिल था। रिनचेन दादुल पांच साल का था, जब उसके पिता की बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई। उनकी मां दिव्यांग थीं और उसके बड़े भाई अपनी, तीन बहनों, दो भाइयों और अपने परिवार का भरण-पोषण करने लायक कमाई नहीं कर पाते थे। वह भारतीय सेना के लद्दाख स्काउट्स में सिपाही थे। इसलिए रिनचेन को लेह के बाल आश्रम, एक शेल्टर होम में भेज दिया गया।
जीवन के इन संघर्षों के बावजूद रिनचेन ने बारहवीं पास कर ली और एक बेहतर जिंदगी की आशा की। 24 सितंबर को लेह में पुलिस द्वारा उत्पात मचा रही भीड़ पर की गई गोलीबारी में उसके माथे में गोली लगने से उसकी आशाएं धराशायी हो गईं। रिनचेन केवल 20 साल का था। रिनचेन के भाई रिग्जेन दोरजे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “वह शहर में एक ट्रैवल एजेंसी के लिए काम कर रहा था। मुझे नहीं पता कि वह प्रोटेस्ट वाली जगह पर क्या कर रहा था। हो सकता है कि वह यह सब देख रहा हो।” रिनचेन के भाई रिग्जेन दोरजे साल 2019 में लद्दाख स्काउट्स से रिटायर्ड हुए हैं।
गोली चलाने की कोई जरूरत नहीं थी- रिनचेन के भाई
लेह एयरपोर्ट के पास अगलिंग में मौजूद घर पर लोग उनके पार्थिव शरीर के चारों ओर बैठकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। सभी रिनचेन की मौत पर शोक व्यक्त कर रहे हैं। दोरजे ने कहा, “ऐसा नहीं होना चाहिए था। गोली चलाने की कोई जरूरत नहीं थी। उन्हें आंसू गैस और लाठियां चलानी चाहिए थीं, हवा में गोलियां चलानी चाहिए थीं। एसओपी के मुताबिक, अगर गोली चलानी है, तो कमर के नीचे चलानी चाहिए। लेकिन उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। गोली उसकी आंखों के बीच में लगी है।”
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रिनचेन को बाल आश्रम जाना पड़ा- दोरजे
दोरजे अपनी भाई की सही से देखभाल ना कर पाने का मलाल जताते हैं। उन्होंने कहा, “वह एक अच्छा लड़का था। लेकिन मैं छोटा था जब पहले मेरे दादा-दादी और फिर मेरे पिता का निधन हो गया। मेरा अपना परिवार था और एक दिव्यांग मां, तीन बहनों और दो भाइयों की जिम्मेदारी भी। बेचारे रिनचेन को बाल आश्रम जाना पड़ा।” छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की मांग के मुद्दे पर दोरजे ने कहा कि वह इस बारे में कोई राय नहीं दे पा रहे हैं।
कड़ी सुरक्षा के बीच दो शवों का हुआ अंतिम संस्कार
लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा में मारे गए चार लोगों में से दो के शवों का रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार कर दिया गया। इगू गांव (लेह से 45 किलोमीटर दूर) के स्टैनजिन नामग्याल और खरनाक गांव (लेह से 170 किलोमीटर दूर) के 25 साल के जिग्मेट दोरजे लेह शहर के बाहरी इलाके चोगलामसर इलाके में रहते थे। सूत्रों ने बताया कि दोनों लेह शहर में टूरिस्ट एरिया में काम करते थे और दोस्त थे। दोनों के अंतिम संस्कार के जुलूस शुरू होने से पहले, पुलिस ने वाहनों और लोगों की आवाजाही पर बैन लगा दिया था।
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