वॉट्सऐप पर एक ऐसी अफवाह फैली है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सैकड़ों मदरसों ने अपने छात्रों को मिजल्स रूबेला (खसरा) का टिका लगाने से इनकार कर दिया है। अफवाह में मिजल्स रुबेला के टिके को नपुंसक बनाने की साजिश बताया गया है। उत्तर प्रदेश हेल्थ डिपार्टमेंट ने मदरसों से टिकाकरण की अनुमति मांगी थी। लेकिन, मदरसों इसे ठुकरा दिया। ऐसे में लाखों बच्चों के इस खतरनाक बीमारी के चपेट में आने की आशंका बनी हुई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ जिले के ही 272 मदरसों में से 70 ने हेल्थ डिपार्टमेंट को मना कर दिया। मेरठ में टिकाकरण से जुड़े एक अधिकारी ने इसके पीछे वॉट्सऐप पर फैले नपुंसक होने की अफवाह को कारण बताया। अधिकारी के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में वॉट्सऐप पर यह अफवाह फैलाई गई है कि इस टिके को लगाने से बच्चे नपुंसक हो जाएंगे। कुछ मदरसों ने तो बच्चों को टिकाकरण के दिन घर पर ही रहने की हिदायत दी है।
इस स्थिति को निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अब जागरूकता अभियान चलाने पर बल दिया है। सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद और मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में इस टिकाकरण अभियान के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। और गलतफहमियों को दूर किया जाएगा।
दरअसल, खसरा एक संक्रामक रोग है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2015 में इस बीमारी से तकरीबन 49,000 बच्चों की जानें गई थीं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने भी इस बीमारी को खतरनाक बताया है। यह खासकर बच्चों और युवाओं को अपनी चपेट में लेता है। वहीं, इसका दुष्प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी हो जाता है और बच्चों की मौत हो जाती है।