त्रिपुरा के गोमती जिले के उदयपुर में प्रसिद्ध शक्तिपीठ त्रिपुरसुंदरी मंदिर के पवित्र जलस्रोत कल्याणसागर में बुधवार को एक मानव खोपड़ी तैरती देखी राधाकिशोरपुर थाने के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि स्थानीय पुलिस मौके पर गई और खोपड़ी को कब्जे में ले लिया। पुलिस अधिकारी के मुताबिक, “यह एक मानव कंकाल है। ऐसा लगता है कि किसी और जगह से किसी ने यह खोपड़ी लाकर इसे मंदिर के जलाशय में फेंक दिया।”
अफवाह है कि प्रार्थना करने आए तांत्रिक गलती से छोड़ गये
मंदिर के प्रधान पुजारी चंदन चक्रबर्ती ने कहा है कि वह मंदिर के जल को शुद्ध करने के लिए अनुष्ठान करेंगे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि बरामद वस्तु सचमुच मानव खोपड़ी है कि नहीं है। इस बीच भक्तों में यह भी अफवाह है कि कुछ तांत्रिक मंदिर में प्रार्थना करने आए थे, और गलती से उसे वहां से ले जाना भूल गये।
देश के 51 शक्ति पीठों में से एक है त्रिपुरसुंदरी मंदिर
त्रिपुरसुंदरी मंदिर देश के 51 शक्ति पीठों में से एक है। जिसे 1501 में महराज धन्य माणिक्य बहादुर ने उदयपुर में बनवाया था। उदयपुर को उस समय रंगामती कहा जाता था, जो माणिक्य राजवंश की राजधानी था। माताबारी जहां मंदिर स्थापित है, वहां के भाजपा विधायक अभिषेक देबरॉय ने कहा कि कल्यासागर के चारों तरफ कंकरीट की दीवार बनाई जानी चाहिए। इसमें लोगों के पवित्र स्नान और पूजा के लिए कुछ घाट या स्नान स्थल का निर्माण होना चाहिए।
कछुए की पीठ जैसी दिखने वाली पहाड़ी के ऊपर बना है धर्मस्थल
देबरॉय ने यह भी कहा कि उन्होंने स्थानीय प्रशासन के सामने कल्याणसागर में और उसके चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगवाने का प्रस्ताव दिया है, ताकि ऐसी घटना दोबारा रिपीट न हो। अगरतला से 55 किमी दूर स्थित त्रिपुरसुंदरी मंदिर देश में हिंदुओं के सबसे पवित स्थलों में से एक है। इसे कछुए की पीठ जैसी दिखने वाली एक पहाड़ी के ऊपर बनाया गया था।
त्रिपुरा के माणिक्य राजाओं के शाही इतिहास, त्रिपुरा राजमाला के अनुसार, महाराजा धन्य माणिक्य बहादुर ने अपने सपने में सर्वोच्च माता आदिशक्ति से ‘स्वप्न आदेश’ या दिव्य आदेश प्राप्त किया था। उसके बाद ही उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर राज्य सरकार के धार्मिक पर्यटक सर्किट का एक केंद्र है। दीपावली पर हर साल यहां पर दो लाख से ज्यादा भक्त और संत आते हैं। इसके अलावा पूरे साल भी पर्यटकों का लगातार आना लगा रहता है।