जेएनयू छात्र संघ ने एमफिल व पीएचडी पाठ्यक्रमों में बड़े पैमाने पर सीटें कम किए जाने के खिलाफ हड़ताल जारी रखने का गुरुवार को फैसला किया। वहीं, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विश्वविद्यालय के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह यूजीसी के नियमों का पालन कर रहा है। छात्रों ने एक दिनी हड़ताल का बुधवार को आह्वान किया था, गुरुवार को उन्होंने इसे दो और दिन जारी रखने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यालय के बाहर शुक्रवार को प्रदर्शन करने का फैसला किया। हालांकि, मानव संसाधन विकास मंत्री ने विश्वविद्यालय के कदम का बचाव करते हुए कहा है कि जेएनयू के प्रोफेसरों को जितने शोधार्थियों को गाइड करने का अधिकार प्राप्त है, वे उससे कहीं अधिक को गाइड करते हैं। मंत्री का बयान राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान आया, जब सदन के सदस्यों ने पीएचडी सहित शोध की स्थिति और मात्रा पर चिंता जाहिर की।
जावड़ेकर ने कहा कि यूजीसी के नियमों के मुताबिक, एक प्रोफेसर आठ शोधार्थियों को, एक एसोसिएट प्रोफेसर छह शोधार्थियों को जबकि असिसटेंट प्रोफेसर चार शोधार्थियों को गाइड कर सकते हैं। मंत्री ने कहा कि जेएनयू में प्राध्यापकों (प्रोफेसर) द्वारा 20-25 शोधार्थियों तक को उनकी पीएचडी के लिए गाइड करने के उदाहरण हैं। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने मंगलवार को अपनी विवरण पुस्तिका जारी की जिसमें एमफिल और पीएचडी कार्यक्रमों में सीटों की कटौती की गई है। इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने एमफिल और पीएचडी पाठ्यक्रमों के जिला जेएनयू की दाखिला नीति को चुनौती देने वाली कुछ छात्रों की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि यूजीसी के दिशानिर्देश सभी विश्वविद्यालयों के लिए बाध्यकारी हैं।