सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा के एक मामले में कहा है कि अगर पति के परिजन या रिश्तेदार महिला को चोट पहुंचाते हैं तो वह खुद भी इस आपराधिक कृत्य के लिए जिम्मेदार माना जाएगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट घरेलू हिंसा मामले में आरोपी पति की अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने उसे जमानत देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस एसए बॉब्दे ने इस मामले में पति को लताड़ते हुए कहा कि तुम किस तरह के आदमी हो। महिला के बयान का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि तुम उसे जान से मारने जा रहे थे। तुमने उसे इतना मारा कि महिला का गर्भपात तक हो गया। क्रिकेट बैट तक से अपनी पत्नी को बेरहमी से मारते हो। चीफ जस्टिस ने यह तल्ख टिप्पणी तब कीं, जब आरोपी के वकील ने उसकी जमानत याचिका को मंजूर करने की अपील कोर्ट से की।
कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि आरोपी की यह तीसरी शादी है जबकि महिला की दूसरी। विवाह 2017 में हुआ था। इसके एक साल बाद दंपती के घर में बच्चे ने जन्म लिया। पिछले साल जून में महिला ने लुधियाना पुलिस को शिकायत देकर पति और उसके परिजनों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला के मुताबिक, दहेज के लिए उसे परेशान किया जा रहा है।
आरोपी के वकील ने उसका बचाव करते हुए कहा कि दरअसल, महिला को चोट उसके मुवक्किल के पिता ने मारी थीं। उसने ही क्रिकेट बैट को हथियार की तरह से इस्तेमाल किया। चीफ जस्टिस ने कहा कि महिला के साथ ससुराल में मारपीट होती है तो उसके लिए उसके पति को ही जिम्मेदार माना जाएगा। उनका कहना था कि इससे उन्हें कोई मतलब नहीं कि मारपीट किसने की थी।
इससे पहले पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने महिला की याचिका का हवाला देकर कहा कि 12 जून 2020 को उसके साथ रात 9 बजे मारपीट की गई। ससुराल पक्ष के लोगों ने महिला को पहले बेरहमी से पीटा और फिर उसका गला दबाकर जान से मारने की कोशिश की। बाद में उसे घऱ से बाहर सड़क पर फेक दिया गया। मारपीट में आरोपी के पिता के साथ मां भी शामिल थी। ससुराल में मारपीट की वजह से महिला का दो बार गर्भपात भी हो चुका है।
कोर्ट ने महिला की एमएलसी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि उसके शरीर पर चोट के 10 निशान मिले हैं। इनमें से पांच चेहरे और सिर पर हैं जबकि एक उसके गुप्तांग पर। 10 में से 8 चोटें क्रिकेट बैट जैसी किसी भारी चीज से मारी गईं। हाईकोर्ट ने यह कहकर आरोपी को अग्रिम जमानसे इनकार कर दिया था कि उसका यह कृत्य किसी भी दृष्टिकोण से नजरंदाज करने लायक नहीं है।