मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 2015-16 के अकादमिक सत्र से विवादास्पद विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली (सीबीसीएस) शुरू करने पर चर्चा करने के लिए सात जुलाई को सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक अहम बैठक बुलाई है। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक सात जुलाई को बुलाई गई है। जहां 2015-16 के सत्र से सीबीसीएस के क्रियान्वयन की प्रगति पर चर्चा की जाएगी। ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने इस प्रस्तावित कार्यक्रम को लागू करने के लिए जरूरी व्यवस्था कर ली है और उस हिसाब से पाठ्यक्रम में संशोधन किया जा रहा है।
सीबीसीएस को लेकर बहस तेज हो रही है। कुछ अकादमिक विद्वान शिक्षा प्रणाली में इस प्रस्तावित सुधार को विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर हमला बताकर उसे खारिज कर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय समेत कई विश्वविद्यालय घोषणा कर चुके हैं कि वे 2015-16 के सत्र से इस प्रणाली को अपनाएंगे जबकि उनके शिक्षक संगठन इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं और उनका दावा है कि विद्यार्थियों को इस परीक्षण के लिए गिनी पिग की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
वैसे मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी जब पिछले महीने हिंदू कॉलेज गई थीं तब उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के सदस्यों को आश्वासन दिया था कि शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को समीक्षा बैठक में बुलाया जाएगा। लेकिन अधिकारियों ने कहा कि यह अभी तय नहीं है कि सात जुलाई की बैठक में अन्य पक्षकारों को बुलाया जाएगा या नहीं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा है कि यह कार्यक्रम विश्वविद्यालयों के अकादमिक उदार माहौल का दमन नहीं करेगा या शिक्षकों का अंतर-महाविद्यालय तबादला नहीं होगा।
आयोग ने पिछले साल सितंबर में कुलपतियों की एक बैठक के बाद सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों से आगामी सत्र से सीबीसीएस लागू करने को कहा था। सीबीसीएस विद्यार्थियों को उच्च शिक्षण संस्थान निर्बाध ढंग से बदलने की सुविधा प्रदान करता है और इसमें विद्यार्थियों द्वारा हासिल क्रेडिट का स्थानांतरण होगा।