राजस्थान के नागौर में जब आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा अपनी ड्रेस बदलने का फैसला ले रही थी, तभी मथुरा स्थित संघ के सिलाई सेंटर में टेलर अपना आखिरी ऑर्डर पूरा करने में लगे हुए थे। मथुरा के पास फराह शहर के दीनदयाल धाम के सिलाई केंद्र के प्रमुख राधेश्याम का कहना है कि हम लोग पूरे देश में निकर भेजते हैं। अब आरएसएस निकर के बिना कैसा लगेगा?
Read Also: अब हाफ खाकी पैंट की जगह भूरे रंग की फुल पैंट में नजर आएंगे स्वयंसेवक
सिलाई केंद्र में कुर्ते, जैकेट और सफेद शर्ट्स की भी सिलाई होती है। सेंटर के अन्य 54 कर्मचारियों की तरह राधेश्याम भी फैसले को लेकर उत्सुक दिख रहे हैं। राधेश्याम जानना चाहते हैं कि इसकी कीमत क्या होगी? रंग, डिजाइन और फैब्रिक कैसा होगा? राधेश्याम ने बताया कि पहले करीब 15 हजार निकरों का स्टॉक रहता था, लेकिन पिछले अगस्त से केवल विशेष ऑर्डर पर ही निकर बनाए जा रहे हैं। अभी टेलर उत्तराखंड से मिले कुछ निकरों का ऑर्डर पूरा करने में लगे हैं।
Read Also: आजम खान बोले- साध्वी प्राची से प्यार करता हूं, डर है RSS लव जिहाद न बता दे
पूरे देश में सप्लाई की जाने वाली इन निकरों पर किसी तरह का कोई ट्रांसपोर्ट खर्च नहीं लिया जाता। निकर की कीमत भी वर्षों से नहीं बदली गई है। प्रति इंच तीन रुपए लिए जाते हैं। राधेश्याम का कहना है कि जब 1998 में उन्होंने सेंटर ज्वाइन किया था, तब 2.5 रुपए प्रति इंच के हिसाब से निकर की कीमत ली जाती थी। केंद्र में एक टेलर रोजाना के 10 निकर बना देता है और उसे प्रति निकर15 रुपए दिए जाते हैं। इस केंद्र की शुरुआत साल 1980 में की गई थी, इसमें काम करने वाले टेलर आस-पास के गांवों के गरीब लोग हैं। केंद्र में आधे से ज्यादा टेलर महिलाएं हैं। इन्हें वे भी शामिल हैं जिन्हें शादी में केंद्र की ओर से सिलाई मशीन गिफ्ट की गई हैं।