केरल के निकाय चुनाव में एनडीए ने तिरुवनंतपुरम के जरिए अपना खाता खोल लिया है। करीब 45 साल बाद वहां एनडीए का मेयर बनने जा रहा है, जिसे लेफ्ट के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इस बीच इंडियन एक्सप्रेस से सीपीएम के राज्य सचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम से खास बातचीत की। उन्होंने निकाय चुनाव में लेफ्ट के प्रदर्शन, हार के कारणों और आगे की रणनीति पर खुलकर बात की।
सवाल: लेफ्ट को इतना बड़ा नुकसान कैसे हुआ?
जवाब: यह लोगों का जनादेश है और हमारे लिए एक सबक भी। यह सिर्फ सीपीएम या एलडीएफ के लिए नहीं, बल्कि पूरे लेफ्ट आंदोलन के लिए सीखने का मौका है। हमें मिलकर आत्ममंथन करना होगा। लोगों का फैसला किसी भी नेता या संगठन से बड़ा होता है।
सवाल: क्या आपको ऐसे नतीजों की उम्मीद थी?
जवाब: ईमानदारी से कहूं तो हम में से किसी ने भी इतने बड़े झटके की उम्मीद नहीं की थी। आंतरिक बैठकों और आकलन में तो यही लग रहा था कि हम आराम से जीत जाएंगे। लेकिन कुछ अंडरकरंट ऐसे थे, जिन्हें हम सही तरह से समझ नहीं पाए।
सवाल: क्या केरल में सत्ता विरोधी लहर चल रही है?
जवाब: जब हम कहते हैं कि हम सबक लेंगे, तो इसका मतलब यही है कि हर पहलू पर गंभीर मंथन किया जाएगा। यह समझना जरूरी है कि लोगों ने हमारी सरकार के कामकाज को किस नजर से देखा।
सवाल: कहीं ऐसा तो नहीं कि लेफ्ट ओवरकॉन्फिडेंस का शिकार हो गई?
जवाब: कई मौकों पर हमें एहसास हुआ है कि बंगाल से सबक लेने की जरूरत है। वहां जो हुआ, वह हमारी आंखें खोलने वाला था। जब मैं ‘हम’ की बात करता हूं, तो मेरा मतलब पूरे लेफ्ट आंदोलन से है, न कि किसी एक व्यक्ति या पार्टी से।
सवाल: भ्रष्टाचार के आरोपों को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: मैं इस बात से सहमत हूं कि हमें सेल्फ-क्रिटिकल एनालिसिस की सख्त जरूरत है। अगर राइट विंग की पार्टियां भ्रष्टाचार में लिप्त होती हैं, तो लोग कहते हैं कि उनसे यही उम्मीद थी। लेकिन अगर लेफ्ट भी वैसा ही करने लगे, तो जनता इसे स्वीकार नहीं करती। यह लेफ्ट की विचारधारा और उसके मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
सवाल: क्या आपको लगता है कि केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की दिल्ली में बीजेपी के साथ किसी तरह की समझ है, जिसकी वजह से अल्पसंख्यक वोट लेफ्ट से दूर जा रहा है?
जवाब: निजी तौर पर मुझे ऐसा नहीं लगता। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो अल्पसंख्यक पहले हमारे साथ मजबूती से खड़े थे, अब उन्हें ऐसा महसूस होने लगा है कि सरकार की बीजेपी के साथ कुछ मुद्दों पर अंडरस्टैंडिंग है। हालांकि, मुझे नहीं लगता कि इस हार का लेफ्ट के भविष्य पर कोई बहुत बड़ा नकारात्मक असर पड़ेगा। एलडीएफ सरकार ने पहले भी ऐसे चुनावी झटके झेले हैं।
सवाल: केरल में बीजेपी की बढ़ती मौजूदगी को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: यह एक गंभीर मुद्दा है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। बीजेपी की विचारधारा केरल के लिए बड़ा खतरा है और इसका मजबूती से मुकाबला करने की जरूरत है। कम्युनिस्ट आंदोलन की जिम्मेदारी है कि वह इस चुनौती को समझे। हमें अल्पसंख्यकों को साफ संदेश देना होगा कि हम उनके साथ मजबूती से खड़े हैं और उनके अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। हम उनकी चिंता और असुरक्षा समझते हैं। केरल के लिए आगे का रास्ता सिर्फ एक है- सेक्युलरिज्म और हम इसके प्रति 100 फीसदी प्रतिबद्ध हैं।
