Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सीबीआई के धोखाधड़ी मामले में एक आरोपी की जमानत याचिका को 27 बार टालने पर नाराजगी जताई और उसे राहत दे दी। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच कर रही थी। उन्होंने सवाल करते हुए कहा, ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामले में हाई कोर्ट जमानत की सुनवाई को 27 बार कैसे स्थगित कर सकता है।’
लक्ष्य तवर को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष मामले को बंद कर दिया। समाचार न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने तवंर की याचिका पर सीबीआई को नोटिस भी जारी किया और कहा कि एकमात्र मुद्दा यह है कि हाई कोर्ट में मामले पर बार-बार स्थगन हो रहा है। जस्टिस गवई की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट आम तौर पर किसी मामले की सुनवाई में स्थगन के खिलाफ याचिका पर विचार नहीं करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने PFI नेता को दी जमानत
सीजेआई गवई ने जाहिर की नाराजगी
सीजेआई बीआर गवई ने कहा, ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामले में हाई कोर्ट से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह मामले को लंबित रखे और 27 बार स्थगित करे।’ बता दें कि हाई कोर्ट ने 20 मार्च को जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी और निचली अदालत को उसके आवेदन पर फिर से विचार करने से पहले न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने तंवर की क्रिमिनल हिस्ट्री का भी हवाला दिया और उसके खिलाफ पहले दर्ज 33 मामलों के बारे में भी बताया।
तंवर के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं में केस दर्ज
तंवर पर आईपीसी की कई धाराओं में केस दर्ज है। हाई कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह अगली सुनवाई की तारीख पर शिकायतकर्ता संजय कुमार यादव की मौजूदगी तय करे और उसी दिन उसकी गवाही और जिरह का अवसर भी दे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी निचली अदालतों को यह संदेश देता है कि वे जमानत याचिकाओं को जल्दी और तेजी के साथ में निपटाएं। देरी की वजह से काफी गंभीर नतीजे हो सकते हैं। कोर्ट का यह फैसला इस बात की पुष्टि भी करता है कि न्यायालयों को स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में तेजी से काम करना चाहिए और किसी व्यक्ति को उसके कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अली खान महमूदाबाद को राहत देने के साथ लगाई फटकार