क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू की डिमांड कम नहीं हुई है। पंजाब की कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद हाल ही में सिद्धू के आम आदमी पार्टी में जाने को लेकर भी खूब चर्चा रही थी। शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) ने भी सिद्धू को अपने पाले में करने की कोशिश की। हालांकि इन सब अटकलों के बीच सिद्धू ने सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से दिल्ली में मुलाकात की थी।

दिल्ली से वापस लौटने बाद पंजाब पहुंचने के बाद उन्होंने कहा कि सोनिया और प्रियंका से मिलकर उन्होंने पंजाब के लिए जो रोडमैप तैयार किया है उसपर चर्चा की। बता दें कि चार बाज से बीजेपी एमपी रहे और अब कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू कई पार्टियों की नजर में हैं जो उन्हें अपने खेमे में शामिल करना चाहती हैं।

शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) और AAP: दरअसल, आम आदमी पार्टी को दिल्ली में भले ही जीत मिली हो लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी का वोट खिसकता नजर आया है। पार्टी चाहती हैं कि सिद्धू के आने से आधार मजबतू करने में आसानी होगी।

शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) की भी कुछ ऐसी ही रणनीति है। शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) पंजाब में धीरे-धीरे अपनी मौजूदगी मजबूत कर रही है। यही वजह है कि वह सिद्धू को अपने साथ देखना चहाती है। हालांकि सिद्धू ने भी अपनी महत्वकांक्षाओं को कभी छिपाया नहीं है। वह पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर खुद को देखना चाहते हैं।

सिद्धू के पास मौका:पंजाब में कांग्रेस की सत्ता में तीन साल पूरे होने के बाद, अमरिदंर सिंह की पकड़ ढीली होती नजर आ रही है। उनके खिलाफ सत्ता विरोधी भावना पैदा हो रही है। उनके असफल स्वास्थ्य के कारण, इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि वह पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनाव में अभियान का नेतृत्व करेंगे या नहीं। ऐसे में सिद्धू के पास मौका है कि वह खुद को इस पद के लिए दावेदार पेश करें।

हालांकि उनके लिए यह इतना आसान नहीं होने वाला है। उन्हें लोकसभा सांसद रवनीत बिट्टू, राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और पंजाब कांग्रेस कमेटी की राज्य इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ के नेतृत्व वाले गुटों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।

कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहती है साथ: पंजाब के प्रमुख जाट समुदाय से, सिद्धू टीवी जगत के साथ-साथ क्रिकेट जगत में भी उनकी अच्छी छवि है। वह कई टीवी शो में बतौर जज नजर आ चुके हैं। बोलचाल के वाक्यांशों का उनका उपयोग उन्हें लोगों से जुड़ने में मदद करता हैऔर दर्शकों का ध्यान आकर्षित करता है चाहे उनका संदेश सांस्कृतिक हो या राजनीतिक।ऐसे में कांग्रेस उनके करिश्में को बुनाना चाहती है।इन कारणों से कांग्रेस उन्हें नहीं खोना चाहती है।