Election Commissioner: लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 15 मार्च को एक बैठक का आयोजन किया जाएगा जिसमें चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को नाम पर मुहर लग सकती है। सरकार को दो चुनाव आयुक्तों के नाम तय करने हैं। इसके बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू की जाएगी। आखिर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कैसे की जाती है और इनके अधिकार क्या होते हैं, इसे विस्तार से समझते हैं।

चुनाव आयोग की जिम्मेदारी

देश में लोकसभा, राज्यसभा से लेकर विधानसभा और विधान परिषद के चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास है। चुनाव अधिकारियों को नियुक्त करने से लेकर वोटिंग और वोटों की गिनती कराने तक सभी काम चुनाव आयोग कराता है। चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त होता है और दो चुनाव आयुक्त होते हैं। यह मिलकर किसी भी चुनाव को लेकर पूरा शेड्यूल तय करते हैं। संविधान के अनुच्छेद 324(2) में भारत के राष्ट्रपति को मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा चुनाव आयुक्तों की संख्या समय-समय पर बदलने की ताकत दी गई है। बता दें कि पहले देश में एक ही चुनाव आयुक्त होता था लेकिन बाद में इनकी संख्या तीन कर दी गई।

कैसे होती है चुनाव आयुक्त की नियुक्ति?

चुनाव आयुक्ति की नियुक्ति में बदलाव को लेकर सरकार पिछले साल दिसंबर में एक कानून लेकर आई थी। इसके मुताबिक अब मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्त को राष्ट्रपति की ओर से एक चयन समिति की सिफारिश पर नियुक्त किया जाएगा। नए कानून के अनुसार एक सरकारी संशोधन के तहत ‘सर्च कमेटी’ की अध्यक्षता अब कैबिनेट सचिव की जगह कानून मंत्री करेंगे जिसमें दो सचिव सदस्य होंगे। कानून मंत्री और दो केंद्रीय सचिवों की सर्च कमेटी 5 नाम शॉर्टलिस्ट कर चयन समिति को देगी। इनमें से प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता की तीन सदस्यीय समिति एक नाम तय करेगी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों का वेतन सुप्रीम कोर्ट के जज के समान होगा। अब मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक रहेगा।

चुनाव आयुक्त की ताकत

चुनाव आयुक्त के पास चुनाव की तारीखों का ऐलान करने के अलावा मतदान केंद्रों का तयन, चुनाव निरीक्षक से लेकर अधिकारियों के तबादले तक का अधिकार होता है। निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग चुनावी आचार संहिता के तहत चुनावी उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करता है। आचार संहिता के दौरान अगर कोई अधिकारी चुनाव आयोग के नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ चुनाव आयुक्त कार्रवाई कर सकते हैं।