बीजेपी ने तीन हिंदी भाषी राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में शानदार जीत हासिल की है। 2024 के आम चुनावों से कुछ महीने पहले भाजपा का यह प्रदर्शन उनके कार्यकर्ताओं के लिए काफी आत्मविश्वास भरने वाला माना जा रहा है, लेकिन बीजेपी के लिए आम चुनावों में लड़ाई उतनी आसान नहीं है। इसकी अहम वजह तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजे हैं, जहां कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाई है। तेलंगाना के नतीजे सामने आने के बाद बहस शुरू हो गई है, कर्नाटक में हार के बाद जहां कहा गया था कि बीजेपी के लिए दक्षिण के द्वार बंद हो गए हैं वहीं अब तेलंगाना में कांग्रेस के मजबूत होने पर कहा जा रहा है कि बीजेपी को इसका नुकसान लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।

क्या 2024 में बीजेपी की जीत तय है?

लोकसभा चुनाव से पहले सवाल यह है कि क्या बीजेपी के लिए यह चुनाव उतना आसान होगा जितना पार्टी के नेताओं के बयानों को सुनकर लगता है? फिलहाल माना जा रहा है कि भाजपा के सामने सबसे बड़ा ख़तरा विपक्ष नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर आत्मसंतुष्टि का ख़तरा है।

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भारी अंतर से जीत से पार्टी के अंदर उत्साह बढ़ा है लेकिन पार्टी के बीच चिंता बढ़ी है कि कांग्रेस का आधार दक्षिण में बढ़ रहा है। उत्तर-दक्षिण की बहस के बीच बीजेपी ने कांग्रेस पर विभाजनकारी रुख अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि यह देश को बांटने की अप्रोच है। बीजेपी का यह पलटवार इस ओर इशारा करता है कि दक्षिण में पार्टी का सिमटता दायरा एक चिंता का विषय है। उत्तर बनाम दक्षिण की यह बहस इस साल की शुरुआत में, कर्नाटक की सत्ता भाजपा के हाथों से फिसल जाने के बाद शुरू हुई थी। जब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीता और दक्षिण में भाजपा से उसका एकमात्र आधार छीन लिया। अब तेलंगाना में कांग्रेस की जीत ने दक्षिण में उसकी स्थिति मजबूत कर दी है। अन्य दक्षिणी राज्यों में, केरल और तमिलनाडु से भी भाजपा बहुत दूर दिखाई देती है।