Chandrayaan 3 Latest News: चंद्रयान-3 चांद की सतह के बेहद करीब पहुंचा गया है। 9 दिन बाद चंद्रयान-3 चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने की कोशिश करेगा। अभी चंद्रयान को चांद की सतह पर पहुंचने से पहले कुछ अहम पड़ाव पार करने हैं। 17 अगस्त को चंद्रयान का प्रोपल्शन मॉडल और लैंडर मॉडल एक दूसरे से अलग होगा। 18 और 20 अगस्त को चंद्रयान डीओर्बिटिंग करेगा। इसके बाद 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद के सतह पर उतरने की कोशिश करेगा। चंद्रयान-3 लॉन्च होने के बाद से ही लगातार चांद और पृथ्वी की तस्वीरें भेज रहा है।

चंद्रयान-3 पर कैसे नजर रखता है इसरो?

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में होने के बावजूद भी पल पल की खबर इसरो (ISRO) को भेजते रहता है। इसरो भी चंद्रयान-3 पर लगातार नजर बनाए हुए है। बता दें कि पृथ्वी से चांद की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किमी है। सवाल है कि आखिर इतनी दूरी से इसरो चंद्रयान पर कैसे नजर बनाकर रखता है। इसरो टेलिमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क जिसे ISTRAC के नाम से जाना जाता है की मदद से ही चंद्रयान पर नजर बनाकर रखता है। यह नेटवर्क बेंगलुरु में स्थित है जिससे इसरो चंद्रयान की गति, उसकी दिशा और उसकी सेहत पर नजर बनाए रखता है।

चंद्रयान-3 कैसे करता है इसरो से बात?

चंद्रयान-3 भी जब चाहे तब इसरो से संपर्क कर सकता है। चंद्रयान-3 प्रोपल्शन मॉडल के मदद से इसरो से संपर्क साधता है। चंद्रयान-3 प्रोपल्शन मॉडल की मदद से लैंडर में लगे कैमरा द्वारा खींची गई चांद और पृथ्वी की तस्वीरों को इसरो के पास भेजता है। बता दें कि 17 अगस्त को चंद्रयान का प्रोपल्शन मॉडल और लैंडर मॉडल एक दूसरे से अलग हो जाएगा। प्रोपल्शन मॉडल का काम चांद से जुटाई गई तस्वीरों और तथ्यों को सिग्नल के माध्यम से इसरो तक भेजना है।

क्या है चंद्रयान-3 मिशन?

चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को श्री हरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त को शाम 5:45 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा। चंद्रयान-3 अपने साथ एक लैंडर और एक रोवर लेकर गया है। लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा और सफल लैंडिंग होने के बाद रोवर चांद की सतह पर रसायनों की खोज करेगा। वैज्ञानिक चांद पर मौजूद रसायनों का अध्यन करेंगे और पृथ्वी और चांद के रिश्तों को समझने की कोशिश करेंगे।

इसके साथ ही पृथ्वी और चांद के रिश्ते को समझने और पृथ्वी की उत्पत्ति को समझने की भी कोशिश करेंगे। अब तक केवल अमेरिका,चीन और रूस ही चांद की उत्तरी ध्रुव की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल हुआ है। अगर चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर पाता है तो भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा। इसरो ने साल 2019 में चंद्रयान-2 के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश किया था लेकिन कुछ तकनिकी खामियों की वजह से विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया था।

कब अलग होगा लैंडर और प्रोपल्शन मॉडल?

5 अगस्त से 17 अगस्त के बीच चंद्रयान-3 चांद के ऑर्बिट में धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा और चांद की सतह के करीब पहुंचने की कोशिश करेगा। 17 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद के 100 किलोमीटर के ऑर्बिट में आएगा। उसी दिन प्रोपल्शन मॉडल और लैंडर मॉडल एक दूसरे से अलग हो जायेंगे। इसके बाद 18 से 20 अगस्त तक लैंडर मॉडल अपनी स्पीड कम करेगा और डी-ओर्बिटिंग करने का प्रयास करेगा। इसके बाद चंद्रयान-3 100×30 किमी के ऑर्बिट में पहुंच जाएगा। अगर चंद्रयान-3 इन सभी स्तर को पार करता है तो 23 अगस्त शाम 5:45 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा।