देश-दुनिया में एक बार फिर कोरोना के मामलों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। भारत में भी बुधवार को पिछले 24 घंटों में कोरोना के 58,097 नए मामले सामने आए हैं। जबकि देश में ओमिक्रोन के मामलों की कुल संख्या बढ़कर 2,135 हो गई है। कोरोना के दो वैरिएंट डेल्टा और ओमिक्रोन के संक्रमण ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया है। ओमिक्रोन और डेल्टा को लेकर कई स्टडी सामने आ रही हैं। ओमिक्रोन का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है और इसके साइड इफेक्ट्स क्या हैं? यह डेल्टा से कितना अलग है? इन बातों को समझना जरूरी है।

अब तक ओमिक्रोन संक्रमित मरीजों के इलाज और रिसर्च में पता चला है कि इस नए वैरिएंट का संक्रमण गले में पनपता है। इस संक्रमण से काफी हद तक फेफड़ा सुरक्षित रहता है। जबकि डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण के दौरान मरीज के फेफड़ों पर सीधा असर पड़ता था और सांस लेने में तकलीफ होती थी। यही वजह थी ऑक्सीजन की मांग अचानक बढ़ गई थी।

ओमिक्रोन से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि इस संक्रमण में मरीजों को सांस लेने में तकलीफ नहीं होती है। वहीं, जोड़ों में दर्द, थकान, जुकाम और सिरदर्द इसके लक्षण हैं जबकि डेल्टा वैरिएंट के मामले में मरीजों के स्वाद और सूंघने की क्षमता खत्म हो जाती थी। ओमिक्रोन से संक्रमित होने की स्थिति में मरीज को थकान के साथ-साथ हृदयगति तेज हो सकती है। कई मरीजों को गले में खरास की शिकायत भी रही है लेकिन ऑक्सीजन के स्तर में कमी नहीं देखी गई है। साथ ही स्वाद और गंध की क्षमता पर भी असर नहीं पड़ा है।

ओमिक्रोन के केस में इसके लक्षण वायरल इंफेक्शन की तरह लगते हैं और फेफड़ों तक इसके संक्रमण के न पहुंचने के कारण यह डेल्टा वैरिएंट की तरह गंभीर नहीं माना जा रहा है। लेकिन, यह डेल्टा की तुलना में कई गुना अधिक संक्रामक है यानी यह वैरिएंट तेजी से बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर सकता है।

कोविड की दूसरी तरह डेल्टा वैरिएंट के कारण आई थी और उस वक्त बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हुई थी। इस लहर के कमजोर पड़ने पर डेल्टा वैरिएंट के साथ-साथ ब्लैक फंगस भी फैलने लगा था, लेकिन ओमिक्रोन के मामले में ऐसा नहीं है। कोरोना के इस नए वैरिएंट के संक्रमण के मामले में मृत्यु दर भी काफी कम है।

वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको लेकर चेतावनी दी है कि ओमिक्रोन वैरिएंट को हल्का और कमजोर समझने की गलती न करें। डब्ल्यूएचओ ने इससे बचने के लिए मास्क पहनने और सामाजिक दूरी का पालन करने की सलाह दी है। संक्रामक होने के कारण यह वायरस पहले से बीमार लोगों और टीका न लेने वालों पर गंभीर असर कर सकता है।