पश्चिम बंगाल के हावड़ा में फूड डिलिवरिंग ऐप Zomato के डिलिवरी कर्मचारियों द्वारा पोर्क और बीफ से बने फूड आइटम्स की डिलिवरी का विरोध करने की बात सामने आई थी। इस मामले ने धार्मिक रंग लेना शुरू कर दिया था हालांकि यह मुद्दा डिलिवरी करने वाले कर्मचारियों को होने वाले पेमेंट दरों में कमी से जुड़ा हुआ लगता है।

द इंडियन एक्सप्रेस ने डिलिवरी करने वाले कर्मचारियों से इस मुद्दे पर बातचीत की। इनका कहना था कि 5 अगस्त से शुरू हुए प्रदर्शन का पहला एजेंडा पेमेंट दरों में आई गिरावट है। हालांकि, धार्मिक कारणों की वजह से पोर्क और बीफ से बने खाने की डिलिवरी से इनकार करने की बात मीडिया की सुर्खियों का हिस्सा बन गई।

वहीं, इस विवाद में एक स्थानीय बीजेपी नेता संजय कुमार शुक्ला का भी नाम सामने आ रहा है। शुक्ला बीजेपी के उत्तर हावड़ा मंडल 2 के सचिव हैं। रविवार को जब डिलिवरी करने वाले कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया तो शुक्ला भी उनके साथ खड़े नजर आए थे। हालांकि, एक दिन बाद सोमवार को वह प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों के साथ पोज देते नहीं नजर आए।

द इंडियन एक्सप्रेस से सोमवार को बातचीत में शुक्ला ने कहा, ‘मैं प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों के साथ एक बीजेपी नेता के तौर पर नहीं खड़ा हूं। हम इस मामले का राजनीतिकरण नहीं चाहते हैं। हालांकि, कोई हिंदू बीफ या मुसलमान पोर्क कैसे डिलिवर करेगा?…यह लोगों के धार्मिक भावनाओं को आहत करता है।’

उधर, ममता बनर्जी सरकार के एक मंत्री भी सोमवार को इस विवाद में कूद पड़े। उन्होंने डिलिवरी कर्मचारियों का समर्थन किया। राज्य के आदिवासी विकास मंत्री राजीव बनर्जी ने कहा, ‘कंपनी को किसी भी शख्स को अपने धर्म के खिलाफ जाने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। मैं इस मामले को देखूंगा।’

उधर, बहुत सारे डिलिवरी कर्मचारियों ने कहा कि उनके प्रदर्शन का मुख्य कारण पेमेंट का मुद्दा है। जोमैटो के साथ बीते दो साल से काम कर रहे सुजीत कुमार गुप्ता ने कहा, ‘हमारे लड़कों ने बाद में पोर्क और बीफ की डिलिवरी का भी विरोध किया। हालांकि, मुख्य तौर पर यह पेमेंट का मुद्दा था। लेकिन अब मीडिया ने हमारे प्रदर्शन को पोर्क और बीफ के मुद्दे के तौर पर हाइलाइट कर दिया है।’

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गुप्ता ने बताया, ‘दो साल पहले जब मैंने यह काम शुरू किया तो मुझे आश्वासन दिया गया कि मेरी हर हफ्ते डिलिवरी के साथ या उसके बिना कम से कम 4000 रुपये की कमाई होगी। हमें हर डिलिवरी के 80 रुपये से लेकर 100 रुपये मिलते थे। हमें इन्सेंटिव भी मिलते थे। अब हमें हर डिलिवरी के 25 रुपये मिलते हैं। शुरुआत में कोई व्यक्ति महीने में 30 से 40 हजार रुपये कमा लेता था। अब दोपहर 12 बजे से लेकर मध्य रात्रि तक काम करके भी मुश्किल से 15 हजार मिल पाते हैं।’

वहीं, प्रदर्शन की अगुआई कर रहे मोहसिन अख्तर ने कहा, ‘हम पेमेंट में हुई कटौती की शिकायत करते रहे हैं। हमें कहा गया है कि अगर हम इससे सहमत नहीं तो काम छोड़ सकते हैं। दो दफ्ते पहले हमारे टीम लीडर ने एक मीटिंग की। उन्होंने हमे बताया कि कंपनी कुछ रेस्तरां से टाईअप कर रही है जो बीफ परोसती हैं। हिंदू डिलिवरी कर्मचारी इसके खिलाफ थे। ठीक वैसे ही मुस्लिम कर्मचारी पोर्क का आइटम डिलिवर करने के खिलाफ थे। हमने अपने टीम लीडर से कहा कि यह मुमकिन नहीं है क्योंकि इससे हमारी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं।’ प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के मुताबिक, 16 अगस्त को कंपनी के कोलकाता दफ्तर में जोमैटो के अधिकारियों के साथ बैठक होनी है। उन्हें इस मीटिंग से कुछ हल निकलने की उम्मीद है।