गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) सिक्योरिटी लेने से इनकार कर दिया है। शाह को पहले की तरह केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) ही सिक्योरिटी देगी। शाह 2014 से सीआरपीएफ सिक्योरिटी की देखरेख में हैं। मामले से जुड़े सरकारी सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री बनने के बाद उनकी सुरक्षा को एनएसजी के जिम्मे करने के लिए बैठक हुई लेकिन शाह ने सीआरपीएफ सुरक्षा को ही आगे भी जारी रखने के लिए कहा।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने नाम ने बताने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि ‘इस साल मई में गृह मंत्री नियुक्त होने के बाद शाह की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा मूल्यांकन समिति ने गृह मंत्रालय में बैठक की थी। इस बैठक में इस बात पर चर्चा की गई थी कि शाह को सीआरपीएफ सुरक्षा दी जानी चाहिए या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की।’
एमएचए समिति जांच एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो के खतरे के अलर्ट के आधार पर वीआईपी नेताओं की सुरक्षा को बढ़ाने और बदलने पर फैसला करती है। शाह के मामले में समिति ने उनकी सुरक्षा को लेकर बैठक का फैसला जांच एजेंसी के अलर्ट के बाद लिया था। जांच एजेंसी ने अलर्ट जारी किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद शाह को आतंकवादियों से सबसे ज्यादा खतरा है। समिति की मीटिंग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया ‘बैठक में ज्यादात्तर सदस्यों ने शाह को एनएसजी सुरक्षा दिए जाने पर हामी भरी लेकिन जब शाह से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह सीआरपीएफ सिक्योरिटी में ही रहना चाहते हैं।’
बता दें कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह को एनएसजी से जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई थी। जेड प्लस सुरक्षा श्रेणी में 36 सुरक्षाकर्मी मिलते हैं, जिसमें कमांडो, उस व्यक्ति की सुरक्षा करते हैं, जिसके ऊपर केंद्रीय खुफिया एजेंसियां खतरे का अनुमान लगाती हैं। केंद्र सरकार सुरक्षा के खतरे के नाम पर वीआईपी सुरक्षा को उचित ठहराती है। ये अनुमान प्राथमिक रूप से इंटेलिजेंस ब्यूरो के आंकलन से तय किया जाता है।