HMPV Virus Cases: कोरोना का खौफ लोगों की जिंदगी से कुछ साल पहले ही गया है, लेकिन इस बीच अब एक नए वायरस ने दस्तक दे दी है। चीन में इस समय एचएमपीवी (HMPV) वायरस फैल रहा है, कई मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा हुआ है कि मामले तेज गति से बढ़ रहे हैं, अस्पताल में एडमिट होने वाले मरीजों की संख्या में भी चिंताजनक बढ़ोतरी देखने को मिली है। अब तो भारत में भी इस वायरस के तीन मामले सामने आ चुके हैं।
इस समय भारत सरकार का कहना है कि इस वायरस से डरने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन आम जनता के बीच में एक सवाल सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है- क्या कोरोना और एचएमपीवी वायरस एक जैसे ही हैं? क्या इन दोनों वायरसों में कोई अंतर है?
अब यहां पर समझने वाली बात यह है कि एचएमपीवी और कोविड-19 का जो वायरस है, वो अलग-अलग वायरल परिवार से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन उनमें कुछ समानताएं भी हैं। असल में बात चाहे एचएमपीवी वायरस की हो या फिर कोविड की, दोनों ही रेस्पिरेटरी सिस्टम पर अटैक करते हैं। इसी तरह कोविड और एचएमपीवी वायरस के ट्रांसमिट होने का तरीका भी समान दिखाई पड़ता है।
इसके अलावा दोनों ही वायरस में लक्षण भी बुखार, खराश, सांस फूलना शामिल है। दोनों ही वायरस सबसे ज्यादा बच्चे, बूढ़े और उन लोगों पर अटैक करते हैं जो पहले से ही बीमार चल रहे हैं या फिर उन्हें कोई और बीमारी लंबे अरसे से चल रही हो। इसके अलावा अभी के लिए दोनों ही वायरस से बचने के लिए मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है।
अभी के लिए एचएमपीवी और कोरोना में एक बेसिक अंतर यह भी है कि कोविड की वैक्सीन बन चुकी है लेकिन एचएमपीवी से लड़ने के लिए मार्केट में अभी ऐसी कोई वैक्सीन नहीं तैयार हुई है।
क्या है ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस?
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) भी कोरोना की ही तरह इंसान के श्वसन पथ को संक्रमित करता है। यह न्युमोवायरिडे परिवार के मेटापन्यूमोवायरस क्लास से जुड़ा है। इसे सबसे पहले 2001 में डच शोधकर्ताओं ने खोजा था। कोरोना का असर फैफड़ों पर होता था लेकिन यह वायरस फैसले और सांस की नली पर भी असर डालता है। यह मुख्य रूप से खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों से फैलता है। इसमें संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। सर्दियों में इसके मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस बारे में और जानने के लिए यहां क्लिक करें