Historical identity of Khusro Bagh: प्राचीन इतिहास की धरोहर और संघर्षों की गवाह, प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) ने अनेक युगों और सभ्यताओं को अपनी गोद में पाला है। यह शहर भारतीय संस्कृति, राजनीति और संघर्ष की अनगिनत कहानियों का केंद्र रहा है। यहां घटी ऐतिहासिक घटनाएं समय के पन्नों पर अमर हो चुकी हैं और आधुनिक शोधकर्ताओं के लिए ज्ञान के नए द्वार खोल रही हैं। प्रयागराज का हर कोना संघर्ष, सभ्यता और सांस्कृतिक उत्थान की नई गाथा कहता है। यह भूमि ज्ञान, वीरता और बदलाव की प्रेरणा का अटूट स्रोत है। खुसरो बाग का संबंध भारत के स्वतंत्रता संग्राम से भी है। इसे कई क्रांतिकारियों के गुप्त ठिकाने के रूप में इस्तेमाल किया गया।

प्रयागराज का खुसरो बाग एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो मुगलकालीन वास्तुकला और भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी घटनाओं का साक्षी है। यह बाग 17 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है और चारों ओर ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। इसे मुगल सम्राट जहांगीर ने अपने बेटे खुसरो मिर्जा के नाम पर बनवाया था।

खुसरो बाग का महत्व

इस बाग में तीन प्रमुख मकबरे हैं, जो मुगलकालीन स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। पहला मकबरा खुसरो मिर्जा का है, जो जहांगीर के सबसे बड़े पुत्र थे। दूसरा मकबरा उनकी बहन निथार बेगम का है, जबकि तीसरा मकबरा उनकी राजपूत मां शाह बेगम (मान बाई) का है। बाग का मुख्य द्वार भव्य है, और इसकी खूबसूरती बलुआ पत्थर की बारीक नक्काशी से और भी बढ़ जाती है।

शाह बेगम का मकबरा

शाह बेगम का मकबरा बाग के बीच में स्थित है। यह मकबरा 1607 में बनाया गया और इसकी डिजाइन फतेहपुर सीकरी के पंच महल से प्रेरित है। हिंदू शैली की छवि और इस्लामी वास्तुकला का संगम इसे अनोखा बनाता है। शाह बेगम, जहांगीर की हिंदू पत्नी और खुसरो मिर्जा की मां थीं। उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें इस बाग में दफनाया गया।

खुसरो मिर्जा का मकबरा

खुसरो मिर्जा, अपने पिता जहांगीर के खिलाफ विद्रोह के कारण नजरबंद किए गए थे। बुरहानपुर में उनकी हत्या के बाद, उनके पार्थिव अवशेष यहां लाए गए और 1622 में बनाए गए मकबरे में दफनाए गए। इस मकबरे की दीवारों पर फूलों और पर्शियन डिजाइनों की उत्कृष्ट नक्काशी की गई है।

यह भी पढ़ें:- कंपनी के जुल्म से तंग भारतीयों की क्रांति से घबरा गई थीं महारानी विक्टोरिया, इलाहाबाद में किया हिंदुस्तान की सत्ता छीनने का ऐलान

निथार बेगम का मकबरा

खुसरो की बहन निथार बेगम का मकबरा वास्तुकला की दृष्टि से बेहद खूबसूरत है। यह मकबरा एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है और इसकी छतों पर चांद-तारों की पेंटिंग की गई है। मकबरे के अंदर शानदार कक्ष हैं, जिनकी दीवारों पर फूलों और अन्य कलाकृतियों की नक्काशी की गई है।

बीबी तंबोलन की संरचना

बाग में एक और संरचना है, जिसे बीबी तंबोलन की कब्र कहा जाता है। हालांकि, यह एक खाली कक्ष है और इसमें कोई मकबरा नहीं है। मौजूदा खुसरो बाग में एक पौधशाला और अमरूद के बगीचे हैं। यहां के अमरूद अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं और विदेशों में निर्यात किए जाते हैं। खुसरो बाग इतिहास, कला और प्रकृति का अनोखा संगम है, जो देश और विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता है।