सीमित समय के लिए बीसीसीआई की सीओए समिति का हिस्सा रहे इतिहासकार-लेखक रामचंद्र गुहा और बैंककर्मी विक्रम लिमये ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को क्लीयर किए गए मेहनताना लेने से इनकार कर दिया। गुहा को 40 लाख रुपए जबकि लिमये को 50.5 लाख रुपए प्रो-राटा आधार पर मिलने थे। सीओए ने 33 महीने तक भारतीय बोर्ड का संचालन किया और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के बुधवार को बीसीसीआई अध्यक्ष पद संभालने के साथ ही सीओए का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा।
बीसीसीआई सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘गुहा ने बीसीसीआई को एक ईमेल के जरिए अपने मेहनताने से जुड़े फेसले के बारे में बताया जबकि लिमये से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में बोर्ड को अपने फैसले की सूचना देंगे।’ उल्लेखनीय है कि गुहा और लिमये, राय और एडुल्जी के अलावा मूल चार सदस्यीय सीओए का हिस्सा थे। इन्हें जनवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रभारी बनाया था।
अपनी नियुक्ति के महज चार महीने बाद गुहा ने सीओए छोड़ दिया। अपने इस्तीफे में उन्होंने हितों के टकराव के कई मामले उठाए, जिन्हें अनसुना कर दिया गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) से छोड़ने से पहले पांच महीने से ज्यादा समय लिमये सीएओ का हिस्सा थे।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘गुहा ने एक ईमेल के जरिए बताया कि वो सीओए में दीं अपनी सेवाओं के लिए बोर्ड से कोई पैसा नहीं लेंगे।’ बता दें कि प्रशासकों की समिति (सीओए) प्रमुख विनोद राय और पैनल की उनकी साथी सदस्य डायना एडुल्जी में से प्रत्येक को बीसीसीआई में 33 महीने के कार्यकाल के लिए लगभग 3.5 करोड़ रुपये भुगतान किया जाएगा।
पूर्व कैग राय और पूर्व भारतीय महिला कप्तान एडुल्जी जनवरी 2017 में नियुक्ति के बाद से ही सीओए का हिस्सा रहे हैं जबकि उनके साथी रामचंद्र गुहा और विक्रम लिमये ने विभिन्न कारणों से त्यागपत्र दे दिया था। सीओए के सभी सदस्यों को 2017 के लिए प्रतिमाह दस लाख रुपए, 2018 के लिए 11 लाख रपए और 2019 के लिए 12 लाख रुपए प्रतिमाह की दर से भुगतान किया जाएगा।
बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘न्यायमित्र पीएस नरसिम्हा से चर्चा के बाद इस राशि को अंतिम रूप दिया गया।’’ इस तरह से एडुल्जी और राय दोनों में से प्रत्येक को 3.5 करोड़ रुपए मिलेंगे जबकि विक्रम लिमये, रामचंद्र गुहा और रवि थोडगे को उनके कार्यकाल के अनुसार भुगतान देने की बात कही गई। (भाषा इनपुट)